________________ ( 86 ) कहीं आने वाले अन्धेरे में ठोकरें न खाएँ / ___ संकेत–१–शब्दं मा कार्षीः, एष हि श्रेण्याः प्रशमं भनक्ति ( एष हि श्रेणी क्षोभयति ) / इस अभ्यास में दिये गये वाक्य निषेध वाचक हैं। संस्कृत में निषेधार्थ सूचक निपात माङ (मा) है। इस 'माङ' के योग में केवल लुङ का प्रयोग होता है। यदि 'माङ्' के साथ 'स्म' भी लगा हो, तो पाणिनि ने लुङ के अतिरिक्त 'लङ्' के प्रयोग का भी विधान किया है / माङ के योग में आगम ('अ' अथवा 'आ') का लोप हो जाता है / जैसे—यहाँ'माङ ' के योग में 'अकार्षीः के 'अ' का लोप हो गया है / यह नियम लुङ और लङ में सामान्यतः लगता है / ४-मेवं स्म मनसि करोः / यहाँ हमने 'मा' और 'स्म' दोनों के योग में लङ का प्रयोग किया है। सामान्यतः यहाँ लुङ भी प्रयुक्त हो सकता है / यथा-मैवं स्म मनसि कार्षीः / ६-मा ते विमागं गमिन्निति समर्पयेतान् सुतान् प्रशस्याय शिक्षकाय(शिक्षकरूपाय) / २–माऽतिक्रमीर्जातु भोजनवेलाम् / १४–इमं नतोन्नतं भूमिभागं ( 'नतानतं भूप्रदेशम्' 'बन्धुरं भूविभागम्' ) समीकुरु, यथाऽऽगामिनस्तमसि मा स्म प्रस्खालिषुः / अभ्यास-३२ (लुङ कर्मणि) १-पाण्डवों की उस प्रकार की बढ़ती (वृद्धि) कौरवादिकों से न सही गई / एक दिन गहरी नींद में सोया हुआ भीम कौरवों द्वारा हाथ और परों से बान्धा गया', और फिर गंगा के जल में फेका गया। जब उसे होश आया', तब आसानी से ही अपने बन्धनों को काटकर उसने भुजाओं से गङ्गा को तैर कर पार कर लिया। फिर दुर्योधन आदि ने उसे सोये हुये को विषले काले साँपों द्वारा कटाया, पर इससे भी वह नहीं मरा / विदुर के आदेश से रात के समय सुरङ्ग बना पाण्डव लाख के घर से माङ के योग से 'अ' आगम का लोप हुआ है / 'अव' उपसर्ग और 'धा' धातु है / धा का कुछ एक उपसर्गों के साथ अकर्मक तथा सकर्मक प्रयोग होता है, संनिधत्ते, अन्तर्धत्ते. तिरोधत्ते, इत्यादि / १-१-हस्तयोः पादयोश्चाबन्धिा२-२संज्ञा प्रत्यपादि ।३-३-दोा सन्तीर्य जाह्नवीपारमगमत् / ४-सुरक्षा स्त्री० / ५-५-लाक्षागृहात्, जातुषाद् गृहात् /