________________ ( 8) 10- अपना पेट भर विद्यार्थी व्यर्थ चेष्टा करते हैं (वि+कृ-पा०)। 11* ठीक ढंग से सिखाए हुए घोड़े बहुत अच्छे दौड़ते हैं (वि+कृ-पा० ) / १२-वह एक कपड़े के टुकड़े पर चित्र बनाता है ( प्रा+कृ)। 13 -यदि वह शराब पीता ही रहेगा, तो निश्चय ही बिरादरी से बाहर कर दिया जायगा (निरा+कृ)। १४-दुष्यन्त ने निर्दोष शकुन्तला का परित्याग कर दिया (निरा+ )।१५-संस्कृत के पढ़ने से मन पवित्र होता है (सम् +स+कृ कर्म में प्रत्यय ) और विशेष कर उपनिषत् आदि गन्थों के पाठ से / १६-मैं नहीं जानता कि इस दोष का कैसे प्रतिकार किया जाए (प्रति+कृ)। १७*रोहिणी नक्षत्र में वेद का संस्कार पूर्वक पाठ प्रारम्भ करे / (उप+मा+कृ)। ____ संकेत-१-भरतवर्षीया दासवदनुकुर्वन्त्याङ्गलानाम् भाषां चर्या परिकर्म च / यहाँ भाषा आदि के साथ षष्ठी भी साधु होगी। ६–स खलु साधिष्ठमुपकरोति लोकस्य यो रामायणं प्रकुरुते / ८-ते नाम जयिनो ये शरीरस्थान रिपूनधिकुर्वते / अधेः प्रसहने(१।३।३३)से प्रात्मने हुा ।:-चित्तं विकरोति कामः। १०-ओदनस्य' पूर्णाश्छात्रा विकुर्वते / ११-विकुर्वते सैन्धवाः ( = साधुदान्ताः शोभनं वल्गन्ति ) / १२–पटे मूर्तिमाकरोति / १३–यदि स पानं प्रसञ्जयति ध्रुवं निराकरिष्यते / निराकृत का अर्थ जाति पंक्ति से बाहर निकाला हुआ है / निराकृति उसे कहते हैं जिसने स्वाध्याय (वेद पाठ) छोड़ दिया है / वह भी प्राकृति ( जाति ) से बाहर किया होता है / अभ्यास-४१ (ह=ले जाना) १-उसकी छाती में तीर लग गया ( प्रह)।२-* हे सौम्य ! यज्ञ की लकड़ियां ले आओ, मैं तुम्हारा उपनयन करूँगा। ३–यह मौलिक पुस्तक नहीं है, यह दूसरी पुस्तकों से उद्धरण संगृहीत करके ( सम्+आ+ह), बनाई गई है ( रच, प्र+नी)। ४-अपने भाषण को संक्षिप्त करो ( सम् + ह) सुननेवाले उतावले हो रहे हैं। ५-गौओं को इकट्ठी करो, और घर को लौटें। 6 चन्द्रमा चाण्डाल के घर से चाँदनी को नहीं हटाता / (सम् = ह)। ७—ये दो बालक सीता से मिलते-जुलते हैं (अनु+हर) ८-घोड़े अपने बाप १-इस षष्ठी के प्रयोग के विषय में तृतीय अंश में षष्ठी उपपद-विभक्ति के संकेतों को देखो। २–'निःस्वाध्यायो निराकृतिः' इत्यमरः / ३-अनु ह सकर्मक है। यहाँ सीता शब्द से द्वितीया विभक्ति होगी। *आ ह का अर्थ 'लाना' है। यद्यपि 'माहार' (कृदन्त ) का अर्थ