________________ हाथ लगाया ही था, कि मक्खियों ने उसे डंक मार मार कर व्याकुल कर दिया। ४-वर्षा का होना था कि चारों ओर मेंढक टर्राने लगे। ५-वह घोड़ा जिसे साईस सिधा रहा था उसके हाथ से छूट गया और भाग निकला। ६--कल अधिक ठण्ड के कारण मुझे बहुत अधिक जुकाम हो गया। और थोड़ा सा ज्वर भी। सारा दिन सिर चकराता रहा / ७-कुत्ते एक हड्डी पर लड़ पड़े, और उन्होंने एक दूसरे को खूब घायल किया। ८-जब मैंने देखा कि ठेकेदार अपनी प्रतिज्ञा से फिर रहा है तो मैंने उसे बहुत फटकारा / - रायसाहिब लाला लक्ष्मणदास ने अपनी स्थिर व अस्थिर सम्पत्ति को एक ट्रस्ट के अधीन कर दिया और अपने उच्छङ्कल लड़कों को जायदाद में कुछ भी भाग नहीं दिया। १०-जब दीपक का तेल समाप्त हो गया तो वह बुझ गया। ११-जब चोर ने देखा कि घर का स्वामी जाग उठा है तो वह दुम दबा कर भाग गया। १२-मसलाधार वर्षा होने के कारण मैं घर से शीघ्र नहीं चल सका और कालेज में आध घण्टा लेट पहुँचा। १३-इस वृद्ध मनुष्य के जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव आ चुके हैं। इससे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। १४-कल मैं सौभाग्यवश बाल-बाल बचा / मेरे दायें पांव के पास से सांप सरकता हुआ निकल गया। १५–डाकुओं को फांसी की प्राज्ञा हुई। १६-कपड़ा सस्ता हो गया है, पर सोने का भाव बढ़ रहा है। १७-ज्योंही परदा', उठा, उपस्थित लोगों ने हर्ष से तालियां बजा और सारा हाल गूंज उठा। संकेत-नियोज्यः सर्वरात्रमवशमजागः', नगरे ह्यप्रथत प्रवादो बाह्यतदौरा: समागता इति / ३-चपलो बालः क्षौद्रपटलं यावदेवास्पृशत् तावदेव स मधुमक्षिकाभिदंशैक्कुलीकृतः / ४-वृष्टमात्रे देवेऽभितः प्रारटन् भेकाः / (विरवितुमारभन्त मण्डूकाः)। ५-यमश्वमश्वपालो व्यनयत्स वल्गाभ्यो निरमुच्यत दिशश्चाभजत / ७-श्वानोऽस्थिशकलेऽकलहायन्त, अन्योऽन्यञ्च गहितमक्षण्वन् (अक्षिण्वन् ) / ८-यदाहमजानां कृतसंविजनो वितथप्रतिज्ञोऽभवदिति, तदाहं तं बलवदुपालभे / 6- राजमान्यः श्रीलक्ष्मणदासो निजां स्थिरामस्थिराञ्च सम्पदं (स्थास्नु चरिष्णु चार्थजातम्, स्थावरं जङ्गमं च वस्तुनिवहम्) 1--1 प्रतितरां प्रतिशीनोऽभवम् / २-तिरस्करणी, जवनिका, (यवनिका), प्रतिसीरा-स्त्री०। ३-संहता। 4-4 तालानददुः / 5-5 कृत्स्नां निशां जागरामकरोत् ( प्रजागरमसेवत)।