________________ से सावधान रहो। 'असली माल पहचानने के लिये हमारी मोहर' देखो। ३-बच्चों को मेरी ओर से प्यार और बड़ों को नमस्कार / ४-पहले बात को तोलो और फिर मुंह से बोलो। ५-यहाँ से सीधे जामो, सड़क के अन्त में जरा दाहिनी प्रोर मुड़कर दस कदम चलकर ठहर जाओ। ६-संक्षिप्त उत्तर दो, इधर उधर की गप्प मत हाँको। ७-तुम्हारे वास्ते में क्यों कर अपने नाम को बट्टा लगाऊँ / ८-इस अत्याचारी को गर्दन से पकड़ो और बाहिर निकाल दो। ६-तुम मानों या न मानो, सच बात तो यही है / १०किसी को 'चुगली मत करो, यह कायरता है / ११-या तो मुझे किराया दो या मकान खाली कर दो। १२-हमारी प्रसन्नता के लिये दो चार कौर खा लीजिए ।१३-दिये को फूंक मार कर बुझा दो, प्रकाश में नींद नहीं पाती। १४-हे देव ! मेरे अपराधों को क्षमा करो और मुझे घोर नरक से बचाओ। १५-यहाँ जूती उतार दो। इससे आगे देवमन्दिर की भूमि में जूता पहने हुए नहीं जा सकते / १६-शीतल सुगन्धयुक्त पवन चले और सन्तप्तों के सन्ताप को हरे / १७-क्षण भर सो जाओ, और चैन पालो। संकेत-१-अस्य निवेशनस्य क्रयविक्रयसंविदं करवावहै / ३-बाला मद्वचनाल्लालनीयाः, वृद्धाश्च नमो वाच्याः (प्रति वाच्याः)। ५-स्थानादस्मात् प्रगुणं गच्छ, राजमार्गस्यान्ते किञ्चिद् दक्षिणतः परावृत्य दश पदानि गत्वा तिष्ठ / ६-संक्षिप्तां प्रतिवाचं देहि, यत्तवसम्बद्धं मा ब्रूहि / ८-अर्धचन्द्र दत्त्वा निस्सारयामुजाल्मम् / (अमुजाल्मं गलहस्तय ) / ६-प्रतीहि वा न वा, तथ्यं त्विदमेव (एष एव भूतार्थः) / १०-मा कस्यचित्पृष्ठमांसमद्धि / ११-भाटकं वा(परिक्रयम्)मे देहि, गृहं वा परित्यज / १३-दीपकं मुखमारुतेन निर्वापय, प्रकाशे हि मे निद्रा नोपजायते ।१५-इहैवोपानहाववमुञ्च, नातः परं देवतायतनभूभागे प्रतिमुक्तोपानको गन्तुमर्हसि / १६-शीतः सुरभिः समीरः पवताम्, सन्तापं च परितप्तानां शमयताम् (परिहरताम्) / १७–क्षणं संविश सुखं च निर्विश / 1-1 शुद्धार्थप्रत्यभिज्ञानाय / २-मुद्रा स्त्री० / ३-परि+वद् / ४-भव मुच् का अर्थ उतारना, खोलना है और आ मुच् और प्रति मुच् का अर्थ बाँधना, पहनना है / जूती पहनने के अर्थ में बन्ध का प्रयोग होता है अथवा 'मा' या 'प्रति' के साथ मुच का / परि धा का कभी नहीं।