________________ ... ( 1 ) यदि दक्षिणाफ्रीकास्था गौराङ्गा आजन्मसिद्धानधिकारान् ( जन्मतो लब्धानधिकारान् ) भारतवर्षीयेभ्योऽदास्यन्, तदा द्वयोर्जात्योः साधीयान् मिथः सम्बन्धोऽभविष्यत् / यहाँ भी वास्तव में हेतु वाक्य के अर्थ का झूठापन ( मिथ्यात्व ) अभिप्रेत है। इसका अर्थ भविष्यत् में है / चान्द्र व्याकरणानुसारी विद्वान् भविष्यत् काल में लुङ का प्रयोग नहीं मानते / भविष्यत् काल में लुङ के विषय में लुट् का ही प्रयोग करते हैं ( भविष्यति क्रियातिपतने भविष्यन्त्येवेति चान्द्राः)। ११–यदि रक्षापुरुषा मध्ये नापतिष्यन् मित्रभावन विवादो निरणेष्यत ( कलिरशमयिष्यत, कलहो व्यवास्थास्यत ) / १२-त्वं चेन्मम सदनमुपैष्यः, मधुरं स्निग्धं चान्नं त्वामभोजयिष्यम् / १४-दुश्चरितैश्चेन समर्गस्यत, सदाचारानाभ्रंशिष्यत / जब 'चेत्' पूर्व वाक्य में प्रयुक्त हो तब उत्तर वाक्य में 'तदा' को छोड़ने की शैली है। पूर्व वाक्य में 'यदा' यदि हो तो प्रायः उत्तर वाक्य में 'तदा' प्रयुक्त किया जाता है। अभ्यास-२८ (लङ लकार ) १–यदि रातें अन्धेरी न होतीं, तो चन्द्रमा का गुण कौन जानता ? २--यदि सूर्य न होता तो संसार में कौन जीवित रह सकता। 3- यदि आप दूरदर्शिता से काम लेते, तो परिस्थिति ऐसी खराब न होने पाती / ४यदि राजा दुष्टों को दण्ड न देता तो वे लोगों को अवश्य पीड़ित करते / ५-यदि दुर्योधन हठ न करता, तो महाभारत का युद्ध न होता। ६यदि रावण सीता का अपहरण न करता, तो उसकी राम के हाथों से मौत न होती। ७-यदि वह अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखता, तो रोगी न होता। ८-यदि मैं धनी होता, तो अनाथों और विधवाओं की सहायता करता। -यदि आज चाँदनी रात न होती तो हम मार्ग भूल जाते / १०-यदि मैंने अपने गुरु को आज्ञा मानी होती, तो निपट गवार न रहता। ११--यदि तुमको अपने वंश की शुभ्र' ख्याति का तनिक भी ख्याल' होता १–तामस-वि० / अन्धेरी रात के लिये एक नाम 'तमिस्रा' है। २-२--प्रति नि विश् आ०, आ ग्रह / ३-३--नासौ रामेण प्राणेळयोक्ष्यत / ४-४-अवदाते यशसि स्वल्पोऽपि (अणुरपि, दम्रोपि ) समादरः / प्र० क०-६.