________________ ( 83 ) १०-जो कुछ भी ब्राह्मण को दिया गया; उससे वह प्रसन्न हो गया। ११--जंगल के जानवरों ने सिंह से प्रार्थना की कि आप हमारे राजा हुजिये / जब उसने स्वीकार किया तो उन्होंने उसका यथाविधि राज्याभिषेक किया / १२---मुझे इस बात का आज दोपहर को ही पता चला, मुझे यह बात पहले मालूम न थी / १३--ये दोनों सगे भाइयों की तरह इकठे पालेपोसे गये हैं। अतः इनमें अगाध प्रेम है। १४--उसने जीवन भर भूखों को भोजन खिलाया, और नंगों को वस्त्र दिया। १५-यह सुनी सुनाई बात है कि आज पुलिस ने निरपराध गोपालचन्द्र को कोई दोष लगाकर पकड़ लिया है। १६-वह अपने वचन से फिर गया, ऐसा उसने पहले कभी नहीं किया। 17 हमारे गाँव में रात-दिन वर्षा होती रही और चारों ओर पानी ही पानी हो गया। १८--उसके कटाक्षों से तंग आकर मैंने उससे सर्वथा बोल चाल छोड़ दी। १६--कई दिन पहले राम की श्याम से बिगड़ गई थी। अब राम ने श्याम से बिलकुल किनारा कर लिया है। २०--*(जिसने) कणाद की वाणी का खूब विचार किया, व्यास (बादरायण) की वाणी का भी निश्चय किया, तन्त्र में जो रमा, शेषावतार (पतञ्जलि) के वचन समूह में जिसने पूर्ण बोध प्राप्त किया, अक्षपाद से निकलती हुई उक्तियों के निखिल रहस्य को जिसने ग्रहण किया और विद्वानों का सौजन्य से होने वाला यश जिसके साथ प्रारम्भ हुआ (वह मल्लिनाथ) दुष्ट व्याख्या के विष से मूछित कालिदास के ग्रन्थों का उद्धार करता है। ___ संकेत-लुङलकार सामान्य भूत अथवा अद्यतन भूत का वाचक है / २--योऽलुभत्, सोऽपप्तत् / ३-अनपेक्ष्य कायकाय॑म् (शरीरसाद) अश्रमत् सः, रुग्णश्चाभूत् / ४–मयेतमर्थमसकृत्प्रबोधितोऽपि स नाबुधत् / ५-स शनैर्विज्वरोऽभूत् कल्यतां चाचकलत् (वार्तश्चाभूत्)। फल गतौ संख्याने च चुरा० अदन्तः / ६-उत त्वं मार्गेणानेन यान्तं शकटमद्राक्षीः ? नाहमा दर्शम् / अन्यत्रमना अभूवम् / ६--अद्याध्यहोरया पूर्वं (इतोऽध्यर्धहोरायां) सोऽगारान्निरगात् पण्यवोथिं न चाद्यापि प्रत्यागात् / १४-बुभुक्षितेभ्यो याव १–अदायि, व्यतारि, प्रत्यपादि (प्रतिपद् से रिणच् करके), व्यश्राणि / २–सम् तुष् / ३–अर्थ चुरा० अदन्त, प्र वा अभि सहित-प्राथिन्त / ४प्रत्यपादि, अन्वमंस्त ।५-५-सिंहं राज्येभ्यषिचन् ।६-६-सहोदराविव,सोदर्याविव / 7 संकथा, सम्भाषा-स्त्री०। संलाप-पुं०१८-८ शनैरस्य ज्वरोपागात् /