________________ . ( 82 ) तो ऐसा घृणित कार्य न करते / १२--यदि मैं सहस्र वर्ष जीऊँ (जो असम्भव है ) तो मेरे सौ पुत्र होवें। १३-यदि मनुष्य को जीवन शक्ति के सोत का पता चल जाय ( जो असम्भव है ) तो वह मौत पर वश पा ले। संकेत-१-निशाश्चेत्तमस्विन्यो नाभविष्यन्, को नाम हिमांशोगुणं व्यज्ञास्यत् / ३--यदि भवान् दूरदर्शितया प्रावर्तिष्यत, तदेदृशी दु:स्थिति वतिष्यत / ४-यदि राजा (क्षितिपः) दुष्टेषु (दुर्वृत्तेषु ) दण्डं नाधारयिष्यत् (न प्रारणेष्यत् ) तदाऽवश्यं ते प्रजा उपापीडयिष्यन् / ७--शरीरे चेदवाधास्यन्नासौ रुग्णोऽभविष्यत् ( शरीरे चेदाइतोऽभविष्यन्नोपतप्तोऽविष्यत् ) / ८--यद्यद्य ज्योत्स्नी ( ज्योत्स्नामयी) यामिनी नाभविष्यत्, तदा वयं मार्गादभ्रंशिष्यामहि (अभ्रंशिष्याम दिवादि)। १०गुरोश्चेदाज्ञामकरिष्ये, (अन्वरोत्स्ये ) वज्रमूढो नावतिष्ये / १२-यदि वर्षसहस्रमजीविष्यं पुत्रशतमजनयिष्यम् / १३-यदि मनुजः प्राणशक्तेरुद्भवमवेदिष्यत्तदा नियतं निधनस्य प्राभविष्यत् / अभ्यास-२६ (लङ् लकार) १-उसने संस्कृत में योग्यता के लिये इनाम पाया है, जिससे उसकी सब जगह स्तुति हो रही है। २--जिसने लालच किया, उसका पतन हुना / ३-उसने अपनी शारीरिक दुर्बलता का विचार न करते हुए कठिन परिश्रम किया, और रोगग्रस्त हो गया। ४--यद्यपि यह बात उसे कई बार समझाई गई, पर वह इसे नहीं समझ सका / ५--उसका ज्वर धीरे 2 उतर गया और वह फिर स्वस्थ हो गया और अपनी दिनचर्या में लग गया। ६--क्या तुमने इस रास्ते छकड़े को जाते हुए देखा ? नहीं, मैंने नहीं देखा, मेरा ध्यान किसी दूसरी ओर था। ७-पाज सबेरे मैं रावी ( नदी ) पर गया, और रेत पर देर तक घूमा। जो आनन्द मैंने उठाया वह कहते नहीं बनता। --जब राम को वनवास हुआ तो भरत अपने मामा के पास था। 8-उसे घर से बाहिर बाजार को गये अब डेढ़ घण्टा हो गया, वह अभी तक नहीं आया। १–गह्यं कर्म / 2 प्रौढि, चातुरी, अभिज्ञता-स्त्री०। तृतीया विभक्ति का प्रयोग करो। 3 संकेत-न / 4-4 मातुलेऽवात्सीत् /