________________ ( 78 ) लोग इस देश में जन्मे हुए ब्राह्मणों से सदाचार के नियम सीखें। :-यह हरकारा प्रतिदिन सात कोस दौड़ सकता है। देखने में यह पतला दुबला है, पर हड़ी का पक्का है। 10-* रथ की इस चाल से मैं पहले चले हए गरुड़ को भी पकड़ सकता हूँ। 11-* ललकारे जाने पर ( क्षत्रिय ) को जुए से और युद्ध से मुँह नहीं मोड़ना चाहिये / १२-कदाचित् भारतवासी जाग उठे; और अपने पुरातन गौरव को फिर प्राप्त करें। १३-ईश्वर करे सत्य की झूठ पर जय हो, धर्म बढ़े और पाप का क्षय हो। १४–यदि वह पोड़े से हाथ पैर मारे, तो किनारे तक पहुंच सकता है / १५-यदि तुम अपने रुपये को थोड़ी और बुद्धिमत्ता से खरचो, तो तुम्हारे पास गरीबी कभी न फटके / १६-मोहन कितना भी निर्धन क्यों न हो जाय, वह अपने सद्गुणों को कभी नहीं छोड़ेगा। संकेत-२-ममेदं कुर्याः / यहाँ 'लिङ' विधि के अर्थ में प्रयुक्त किया गया है। उपर्युक्त वाक्य में लोट् लकार का प्रयोग भी हो सकता है। ३–ब्रह्मचारी मधु मांसं च वर्जयेत् / 6 जनाकरिको होरया सप्त क्रोशान् गच्छेत् / यहाँ लिङ सामर्थ्य को सूचित करता है। ११--आहूतो न निवर्तेत धूतादपि रणादपि / १३--जीयात्सत्यमनृतम् / यहाँ लिङ का "प्राशिस" अर्थ में प्रयोग हुआ है। आशिस अर्थ में लोट का भी प्रयोग हो सकता है / १५--यदि निजं धनं किञ्चिद्बुद्धिमत्तरतया (विवेकेन) व्यययः, न जात्वकिञ्चनत्वं यायाः / १६--मोहनः कियतीनपि निर्धनतामियात्सद्गुणांस्तु न जह्यात् (प्रकामं दारिद्रय यायान्न श्रद्दधे सद्गुणाबह्याद)। १७-यद्यद्य लफेयास्तदा पीनसस्ते श्वोभूते निवर्तेत / अभ्यास-२६ (लि) १-मेरी प्रार्थना है कि उसके घर इस बार पुत्र पैदा हो, जो शत्रों की लक्ष्मी का हरण करे। २-यदि आपका कभी इस ओर पाना हो, तो मुझे अवश्य मिलना। ३–ईश्वर करे, तुम अपने देश की सेवा करो। १-जङघाकरिकः / 2-2 पारं यायात् / 3-3 इसकी संस्कृत बनाने की कोई आवश्यकता नहीं। यह वाक्य आशीर्वाद अर्थ को कहता है जो लिङ से कह दिया जायगा-पुत्रोऽस्य जनिषीष्ट यः शत्रश्रियं हषीष्ट (हियात)। ४सेविष्ठाः / यहाँ 'ईश्वर करे' इसका मनुवाद नहीं किया जायगा।