________________ प्रसन्न (सन्तुष्ट) हो जायगा। १२-धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा, मौर कुछ भी साप नहीं देगा / १३-उस समय मैं बिल्कुल अकेला' था, अतः क्या कर सकता था। १४-वह उसका ऋणी है, अन्यथा वह उसकी सहयता न करता / १५-यदि तुम अपने आश्रितों के साथ अधिक नम्रता से बर्ताव करोगे, तो सबके प्यारे बन जाओगे / १६–हम माज वा कल कलकत्ता जायेंगे, पर निश्चित नहीं। संकेत-१-पञ्चषेरहोभिर्वयमेव तत्र गमिष्यामः सवं च वृत्तजातं स्वयमेवानुसन्धास्यामः / पञ्च वा षड वाऽहानि = पञ्चषाणि / बहुव्रीहि / २-उत श्वो मध्याह्न मां मे गेहे द्रक्ष्यसि ? / ६-यदि गम्भीरमिमं ह्रदमवगाहिष्यसे (मवषाक्ष्यसे), निमक्ष्यसि / यह स्मरण रखना चाहिए कि म गाह सकर्मक है, प्रतः सप्तमी एकवचन का प्रयोग 'ह्रदे' अशुद्ध होगा / १०-अनुक्तोऽपि गंस्यतेऽर्षः सुधीरचेदसि / परेङ्गितज्ञानफला हि बुद्धयः / १३–तदेकलोऽहं किं करिष्यामि / १४-उपकृतोऽसौ तेन ( स तस्मिन्नुपकारभारं वहति), अन्यथा न तस्य साहाय्यं करिष्यति / १६-प्रद्य श्वो वा कलिकातां प्रति प्रयास्यामः(अभियास्यामः) परमिदं व्यवसितं न / यहाँ लुट्लकार का प्रयोग नहीं कर सकते / 'मनद्यतने लुट' (3 / 3 / 15) / यहाँ 'मनयतने' यह बहुव्रीहि निर्देश है, अतः व्यामिश्र काल में लुट नहीं हो सकता। अभ्यास-१६ ' (लट् लकार) १-इस प्रकार तुम अपनी नाक कटवा लोगे / नाक कट जाना मृत्यु का दूसरा नाम है। २-यह कपड़ा देर तक नहीं चलेगा। क्योंकि पुराना प्रतीत होता है / ३-यदि तुम अपना अमूल्य समय इस प्रकार खेल-कूद में 'गवानोगे, तो किसी न किसी दिन पछतामोगे। ४-क्या मोहन नवम श्रेणी में 'चल सकेगा? पढ़ता तो कुछ भी नहीं। न जाने माठवीं श्रेणी में कैसे पास हुमा। 5- क्या इस इतिहास की पुस्तक से तुम्हारा काम चल जायेगा ? नहीं / १-सम् तुष / * ऐसे स्थलों में लृट् के प्रयोग के लिये "विषयप्रवेश" देखो। २–पात्मना द्वितीयः, घायाद्वितीयः, देवताद्वितीयः / ३-३-माश्रितेषु नदीयो व्यवहरिष्यसि चेत् ।४-निर्वह, अवस्था ।५-क्षप् चुरा / ६-६-चिरं / वा,क्षिप्रं वा गच्छता कालेन ।७-मनु शुच, मनु तप(कर्मकर्तरि)मनु शी पदा० मा०। 8 सम्यक निर्वोद क्षमिक्ष्यते (स्यते) ।६-६-सेत्स्यति तेर्षः।