________________ ( 70 ) यह तो मध्यम कोटि के छात्रों के लिये कुछ उपयोगी है और प्रश्नोत्तर रूप से लिखी हुई है। ६-यदि वह छः दिन निरन्तर अनुपस्थित रहा, तो उसका नाम स्कूल से काट दिया जायेगा। ७–जितना अधिक परिश्रम करोगे परीक्षा में उतने ही अधिक अंक प्राप्त करोगे / परिश्रम किया हुमा यूँ ही नहीं जाता' / ८-राजा' को पता लगने से पहले ही वे नगर की ईट से ईट बजा देंगे। ह-गर्मी की छूटटियां समाप्त होने से पहले यह पुस्तक छप चुकी होगी और बाजार में बिकती होगी / १०-कल मुझे स्कूल में काम करते उन्नीस वर्ष सवा सात मास तथा पांच दिन हो जायेंगे / ११अगले वर्ष तक इसी ग्राम में शिल्पकारी स्कल की माधार शिला रखी जा चुकी होगी। जिससे शिल्प सीखना चाहने वाले विद्यार्थियों की कठिनाई दूर हो जायेगी। १२-जैसा सोचोगे वैसा ही बनोगे / १३-इस महीने की पच्चीसवीं तारीख को हमारी परीक्षा समाप्त हो जायगी और अगले महीने के चौथे सप्ताह में परीक्षा परिणाम निकल जायगा / १४–जितना गुड़ डालोगे, उतना ही मीठा होगा। १५–यदि तुम कुछ कर दिखलामोगे, तो तुम्हें पारितोषिक मिलेगा / संकेत-१-एवं लोके लाघवं यास्यसि (इत्थं लोकसम्भावनया हास्यसे)। बहुमतस्य लाघवं नाम मरणपर्यायः / ६-यदि सोऽनूचीनानि षडहानि नोपस्थास्यते,तदा पाठालयनामसच्यां तन्नामधेयं रेखया विलोपयिष्यते ।७-यथायथा परिश्रमिष्यसि, तथा तथाऽभ्यधिकान् परीक्षायामाल्लप्स्यसे / नहि श्रमः फलविधुरो भवति ।१०-इह पाठशाले कार्य कुर्वतो मे श्व एकोनविंशतिः समाः (एकानविंशतिर्वत्सराः) सपादसप्त मासाः पञ्च दिनानि च भविष्यन्ति / पाठशाल नपु० है / पाठशाला स्त्रीलिङ्ग है। इसी प्रकार 'इयं गोशाला, इदं गोशालम्' भी कह सकते हैं ।११-अग्रिमं वर्ष यावच्छिल्पविद्यालयस्याधारशिला प्रतिष्ठापयिष्यते (प्रतिष्ठापिता भविष्यति ) / १२-यो यच्छदः स एव सः। यादृशी भावना यस्य सिद्धिर्भवति तादृशी / १४–अधिकस्याधिकं फलम् / 1-1 न हि श्रमोऽपार्थो भवति / 2-2 राज्ञोऽविदित एव / 3-3 उद् सद् स्यन्त / 4-4 अस्य मासस्य पञ्चविशे वासरे / यहाँ 'तिथि' का प्रयोग नहीं हो सकता। कुछ लोग 'तारिका' शब्द की कल्पना करते हैं / वह सर्वथा निर्मूल है।५-परि अव सो दिवा(पर्यवसास्यति )।६-प्राकाश्यमेष्यति /