________________ ( 67 ) अभ्यास-१७ (लुट् लकार) १-यदि वह दाई ओर जायगा तो गढ़े में गिर पड़ेगा / २–सजन उस के दुर्व्यवहार के कारण उसकी निन्दा' करेंगे। और उससे बोलचाल छोड़ देंगे। ३-पिताजी तुम्हारी सफलता का समाचार सुन कर 'प्रसन्न होंगे। और तुम्हारे छोटे भाई की असफलता को सुनकर नाराज होंगे। ४–यदि तुम फिर कभी इस प्रकार बोले तो तुम्हारी खैर नहीं। 5-* ज्ञानरूपी नाव की सहायता से तुम सब पापों को तर जानोगे। ६-तुम चावल पकापो। मैं' इन्धन लाता हूँ। ७–तत्त्वदर्शी ज्ञानी लोग तुम्हें ज्ञान का उपदेश करेंगे। 8-* मैं तुम्हारे लिये उस कर्म की व्याख्या करूँगा, जिसे जानकर तुम पाप से छूट जानोगे। 6-* प्राणो अपनी प्रकृति के अनुसार व्यवहार करते हैं, केवल हठ क्या करेगा। १०-पश्चात के देखने से पता चलता है कि कार्तिक के पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा को ग्रहण लगेगा। ११-कृष्ण ! तुम्हें याद है कि हम कभी गोकुल रहते थे और वहां स्वेच्छा से जमुना तीर पर बिहार कहते थे / १२-मेरे समान गुणों वाला कोई व्यक्ति कभी जन्म लेगा, समय की कोई सीमा नहीं और पृथ्वी भी बहुत विस्तृत है। १३–यदि तुम अपने लड़कों का ध्यान न करोगे, तो वे अवश्य बिगड़ जायेंगे। १४-मुझे भय है कि सहायता पहुँचने से पहले किले की सारी खाद्य सामग्री समाप्त हो चुकी होगी। १५–क्या इस सप्ताह से पहले सारे कैदियों को गोली से उड़ा दिया जायगा? १६-माज ईशोपनिषद् के कुछ एक मन्त्रों की व्याख्या होगी', और गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ होगा / संकेत-१ यदि स दक्षिणेन यास्यति गत पत्स्यते (अवटं पतिष्यति ) / पद्-लट = पत्स्यते / ४-यद्यवं पुनर्वक्ष्यसि न त्वं भविष्यसि / १०-कार्तिक्यां चन्द्रो असिष्यते ग्रहेण (चन्द्र उपप्लोष्यते, उपरङक्ष्यते, चन्द्रोपरागो भविष्यति)। १-निन्द् भ्वा०, गह भ्वा० प्रा०, अव क्षिप् / 2-2 सिद्धिवृत्तान्तपुं० / 3 प्रसद, नन्दु / 4 कोपं ग्रहीष्यति / 5-5 एध पाहरिष्यामि / इन्धन, इध्म, एधस्-नपु० / एध पु / 6-6 सर्वा खाद्यसामग्री पर्युपयुक्ता भविष्यति / 7-7 व्याल्यास्यते ( व्याख्यायिष्यते ) / 8 वाचयिष्यते /