________________ ( 58 ) विद्यालयेऽपठत् / १२-रक्षापुरुषाणां व्यतिकरप्रदेशप्रापणात् पूर्व तुमुलकारिगोर्धहोरामापणेष्वग्निमददुः (समदीपयन् ) / अभ्यास-११ ( लक लकार ) १-'शिव के धनुष को झुका कर राम ने जनक की पुत्री सीता से विवाह' किया(लङ लकार)। उसी समय भरत लक्ष्मण और शुत्रुघ्न का माण्डवी,मिला पौर श्रुतकीर्ति से विधिपूर्वक विवाह हुआ ।२-विदेश को जाता हुआ वह अपने मित्रों से अच्छी तरह गले लगाकर मिला। ३-न्यायाधीश ने मुकद्दमे पर खूब विचार करके अभियुक्त पुरुषों को छः (6) वर्ष की कैद का दण्ड दिया / ४-देवतामों और राक्षसों में परस्पर स्पर्धा थी, और वे प्रायः एक दूसरे से लड़ा करते थे। ५--पुराने क्षत्रिय पीड़ितों की रक्षा के लिये 'सशस्त्र सदा तैयार रहते थे। पर निर्दोष पर हाथ नहीं उठाते थे। ६--कुमार को इन्द्र की सेना का नायक नियुक्त किया गया। ७-उन्होंने यश का लोभ किया, पर वे इसे प्राप्त न कर सके। ८-उन्होंने दूसरों की सम्पत्ति को लोभ की दृष्टि से देखा और वे 'पाप के भागी बने / ६-उन्होंने कितनी ही चीजें मोल ली, और उन्हे अधिक मोल पर बेच दिया और ५०रुपये लाभ उठाया / १०-उन्होंने घोड़ा को कीले से बांध दिया और वे विश्राम करने चले गये। पीछे घोड़ा रस्से को तोड़कर दौड़ गया / ११–साधुनों की संगति से उनके सब पाप धोये गये। १२-धीरे 2 हम बूढ़े हो गये, और हमारी शक्तियां क्षीण हो गई / १३-हिन्दुओं ने शूद्रों का चिर तक तिरस्कार किया" जिसका परिणाम यह हुआ कि बहुत से शुद्र खिस्तमतावलम्बी हो गये / १४घर जाते समय अचानक मैं उससे मार्ग में मिला / १५-इन्होंने मुझे वह स्थान छोड़ने को विवश किया। १६-उसने मुझे वैद्यक पढ़ने के लिये प्रेरित किया, 1 शिव, शङ्कर, पिनाकिन्, कपर्दिन् धूर्जटि, त्रिपुरहर, त्रिपुरारि-पु. / 2 धनुष, चाप, कोदण्ड, कामुक, शरासन-नपु। चाप पु. भी है। इष्वास पुं० / ३-उद् वह, परिनी, उप यम्, हस्ते कृ / 4-4 पीडितं पर्यष्वजत पर्यरमत, आश्लिष्यत्, उपागृहत् मित्राणि / ५-प्रार्त-वि०। 6-6 शश्वदुदायुधा आसन् / 7-7 परकीयां सम्पदमभ्यध्यायन् / 8-8 अपतन्, पापे भागिनोऽभवन् / 6-6 एकजाति, वृषल-पु. / 10 अवज्ञा 650, प्रव क्षिप 6 उ०, अवधीर् 10 उ० /