________________ ( 60 ) अभ्यास-१२ (लङ् लकार) १-यदि इस किले के सिपाही दो महीने और 'डटे रह सकने थे, तो उन्हें भोजन सामग्री क्यों न भेजी गई। २-प्राचीन काल में तक्षशिला विश्वविद्यालय में दूर 2 के देशों के नवयुवक विद्या प्राप्त करने आते थे और अनेक विद्यानों, कलाओं और शिल्पों में सुशिक्षित किये जाते थे। ३-उसे तो इतना भी ज्ञान न था कि दो और दो चार होते हैं, इसलिये सर्वत्र धोखा खाता था और अनादर पाता था / ४-जब उसे पता लगा कि उसने मुकद्दमा जीत लिया है, तब उसने अपने मित्रों में मिठाई बाँटी। ५–जब अभियुक्त ने देखा कि उसके सम्बन्धियों ने मुकदमा चलाने के लिये वकील कर लिया है तो उसने दोषी होना अस्वीकार कर दिया। ६-जब हमने सुना कि हमारी उसने भूठी शिकायत की है तो हमने उससे बदला लेने की ठान ली। ७-जब साहूकार ने देखा कि उधार लेने वाला टालमटोल कर रहा है तो उसने दावा कर दिया। ८-क्या नाविक ने इन मनुष्यों को इस मगरमच्छ वाली नदो को तैर कर पार करने से नहीं रोका था? 8-अध्यापक ने पूछा-गंगा यमुना में मिलती हैं, या यमुना गंगा में / एक चतुर विद्यार्थी ने उत्तर दिया कि यूँ कि मिलने के पश्चात् गङ्गा नाम शेष रहता है / अतः यमुना गङ्गा में मिलती है। १०-उसने मुझसे अगले सोमवार तक रुपया लौटा देने का प्रण किया था पर पूरा नहीं किया। 11 - इस दुकानदार ने मेरे तीन पैसे मार लिये और आगे के लिये उस पर मेरा विश्वास उठ गया। संकेत-१-अस्य दुर्गस्य योद्धारश्चेन्मासद्वयं रणेऽभिमुखं स्थातु समर्था पासन्, तदा भोज्यपदार्थास्तेभ्यः कथं न प्राहीयन्त / ३–स नेदमपि व्यजानाद् द्वे च द्वे च पिण्डिते चत्वारि भवन्तीति / अतः सर्वत्रावाज्ञायत / ५यदाभियुक्तः प्रेक्षत, यन्मे सगन्धैर्व्यवहारे मत्पक्ष भाषितु व्याभाषको 1-1 प्रत्यवस्थातुमपारयन् / २--प्र हि प्रस्था ण्यन्त, प्र इषु ण्यन्त / ३-व्यवहार पुं० / 4-4 मित्रेभ्यः, वयस्येभ्यः (चतुर्थी ) / ५–प्रतिमा बी०। प्रतिश्रव, संगर-पु / प्रति ज्ञा, श्रु, प्रा श्रु / संस्कृत में 'प्रण' शब्द नहीं।