________________ घटना याद आती रही। १४-न्यायाधीश ने दस अपराधियों को प्राणदण्ड दिया और बाकियों को आजीवन कारावास / १५–क्या तुम्हारे गांव के लोगों ने पंचायत के चुनाव में विशेष दिलचस्पी नहीं ली ? १६-तब शङ्ख और ढोल इस जोर से बजाये गये कि दूर ठहरे हुए हम लोगों के कानों में आवाज साफ सुनाई दी। संकेत–१ प्रमूर्छत्सख्यं रामसुग्रीवयोः / २-अमर्छनिशि तमः पथवाघ्रशामहि (अभ्रश्याम ) / ३-देवैः सुधां क्षीरनिधिरमय्यत च सा सुधा मिथो व्यभज्यत / ४-ये आत्मना व्यकत्यन्त, तेऽध्वंसन्त / यहाँ 'पात्मानम्' का प्रयोग प्रशुद्ध है। ५–पश्चिमाशामवलम्बमाने दिवाकरे स गृहमुपगन्तु स्वरिततरां प्राक्रामत् / ६–सूर्योढस्य यात्रिण आरण्यका निकामम् प्रातिथ्यमन्वतिष्ठन् / ७–ते निखिलामटवों मैथिली व्यचिन्वन् / ८–सूच्या ममाङ्गलिरविध्यत ( सूचिर्ममाङ्गलिमतुदत् ), येनाद्यापि सरुजोऽस्मि / ६–सुचिरं व्यचरं भुवम्, तेन विजानामि विचित्रस्यास्य सर्गस्य सौन्दर्यम् / १२-पृथ्वी व्यज़म्मत, सहस्रशो जनाश्च निमेषमात्रेण तस्यां व्यलीयन्त ।१३-तदा मां निद्रा नागच्छत्, चिरमहं नेत्रे निमोल्य शयनीये न्यपद्य उद्वेगकरं तमेव पूर्वव्यतिकरं चास्मरम् / १४-प्रक्षदर्शको दशाऽपराधान्वधदण्डमादिशत्, शिष्टांश्चामृत्योः कारावासम् / १५-कि युष्मद्ग्रामवासिनोऽस्मिन् विषये विशिष्टमादरं नाकुर्वन्? १६-ततः शङ्खाश्च भेर्यश्च तथा तरसाभ्यहन्यन्त यवा सुदूरेऽपि स्थितानां नः श्रोत्रयोरमूर्छच्छब्दः। अभ्यास-१० (लल्लकार) १-जब माता दृष्टि से मोझल हुई, तो बच्चा बिलख 2 कर रोने लगा। २-जब मैं स्कूल पहुँचा तो प्रध्यापक महोदय उपस्थिति ले रहे थे। ३जब पापका नौकर मुझे बुलाने पाया तो मेरे सिर में अत्यधिक पीड़ा हो रही थी, इसलिये मैं आपकी सेवा में नहीं आ सका। ४-जब हम रेलगाड़ी से उतरे तो हमारा नौकर मेज पर कलेवा रख रहा था / ५-वह अपने मित्र से उसके पिता की मृत्यु के बाद नहीं मिला, इस लिये उसे क्या मालूम कि उस १-न्यायाध्यक्ष, प्राधिकरणिक, प्राविवाक-पुं०। 'न्यायाधीश' इस मर्ष में संस्कृत में प्रयुक्त नहीं होता।