________________ ( 54 ) है जो जीव मात्रपर दया करने के लिए प्रसिद्ध हुमा / 3-- दुष्यन्त ने हिरन' का बहुत पीछा किया, पर बह इसे पकड़ न सका / ४-वह शिकार खेलने के लिए निकल गया और घण्टों जंगल में घूमता रहा। ५-गुरु ने शिष्य को उसकी ढिठाई के लिए बुग भला कहाँ / सहपाठियों ने भी उसकी खूब निन्दा की।६-मैंने षडयन्त्रों के बुरे परिणाम से उसे सावधान कर दिया है। ७-मैंने उससे सच 2 कह देने के लिए बहुत अनुनय विनय किया', पर वह न माना और अपनी बात पर डटा रहा / ८-प्रजा राजा में पूर्णतया अनुरक्त थी / सर्वत्र विद्या का प्रसार वा पौर शान्ति का साम्राज्य था। ६-गवर्नर महोदय के आने पर सड़कें साफ की गई, और उनपर पानी छिड़काया गया। आने-जाने वाले लोगों को परे हटा दिया गया। १०-भारत में ब्राह्मणों को वैराग्य ( वैराग्येण ) और संन्यासपूर्ण जीवन के लिए सर्वदा सम्मान मिलता था'। ११-प्रत्येक दिन के बालक को उपनयन कर चुकने के बाद सब विद्याएँ सिखाई जाती थीं / १२--मन्त्रियों ने विद्रोहियों को पकड़ने की प्राज्ञा दी। 13 कैदियों ने अपना अपराध मान लिया ? और इसीलिये क्षमा कर देने के बाद वे छोड़ दिये गये। १४--उससे कई एक प्रश्न पूछे गये, परन्तु वह एक का भी संतोषजनक उत्तर न दे सका। डोंगे इतनो मारता था। १५-अनावृष्टि के कारण खेती सूख गयी और खाद्य पदार्थों का भाव बहुत बढ़ गया। १६--कहते हैं कि विन्ध्याचल को पार करनेवाला पहिला आर्य 'अगस्त्य' था। संकेत-२-इह भारते वर्षेऽशोको नाम सम्राडासीत. यो जीवमात्रस्यादयतेति लोके व्य श्रूयत / जहाँ कर्मत्व की विवक्षा में 'जीवमात्रमदयत' ऐसा भी कह सकते हैं / ३-दुष्यन्तः सुष्ठु सारङ्गमन्वसरत्, परं नासादयत् / ४-स मृगयां निरगच्छत् / बह्वीश्च होरा वनमभ्रमत् / ५-गुरुरन्तेवासिनं तस्य धाष्ट्र्येन निरभर्त्सयत / तर्ज, भर्त्स चुरा० दोनों प्रात्मने हैं / E-प्रागते १-हरिण, मृग, कुरङ्ग,एण-पु. / 2 धाटघ, वैयात्य-नपु०३-३ तभ्वा० 50 तर्ज भर्त्स -चुरा० मा०। 4-4 दुष्परिणाम पु / दुष्परिणति-स्त्री० / यहाँ द्वितीया विभक्ति का प्रयोग करो। ५-अनु नी भ्वा० / ६-अनु रञ्ज (कर्मकर्तरि)। 7-7 सम् मन् गि (कमरिण ) / ८-आसिद्धाः, बद्धाः, बन्दयः( स्त्री० ),बन्धः (स्त्री० ) / ६-अपराध, मन्तुपु। आगस , व्यलोक-नपु। १०-अभि-उप इ प्रदा०, प्रति पद् दिवा० / ११-अनावृष्टि स्त्री० / प्रवग्रह,-अवग्राह-पु.। 12 शस्य-नपु।