________________ ( 52 ) करते हैं, भेड़िये गुर्राते हैं। ५--क्या आप सर्दियों में भी ऊनी कपड़ा नहीं पहनते, और तो कुछ नहीं, जुकाम और निमोनियाँ' का डर है। ६-वहीं पढ़ने से जी चुराता है और समय पर मित्रों के साथ खेलने भी नहीं जाता। ७-दीपक बुझ रहा है, क्योंकि इसमें तेल समाप्त हो गया है। ८-ये सफेद घोड़े कितने सुन्दर हैं। दौड़ते भी क्या हैं, उड़ते हैं। ह-बू दा बाँदो हो रही है, गरमी कम हो गयी है, सैर के लिए सुहावना समय है। १०-धनी लोग गरीबों पर सदा अत्याचार करते आये हैं। इसमें कुछ भी आश्चर्य नहीं, दूसरों का देय भाग छीनने से ही तो धन-संग्रह होता है। ११--वह पीछले तीन वर्षों से उसी छोटे से "मकान में रह रहा है और सुख अनुभव कर रहा है। १२-मैं दो बजे दोपहर से पाठ याद कर रहा हूँ। अभी तक याद होने में नहीं आया / १३---यह नन्हासा पक्षी अपने बच्चे को चोगा दे रहा है / यह निष्कारण प्रेम का उदाहरण है। १४--जुमा खेलने वाला अवश्य नष्ट हो जाता है / जुआ बड़ा भारी व्यसन है और व्यसनी की लोकयात्रा सुखमय हो नहीं सकती। १५-आजकल जनता मनुष्य की योग्यता का अनुमान उसके पहरावे से करती है, इसी लिये वेष-भूषा में अधिकाधिक रुचि हो रही है। 16- यदि सब १२मोहल्ले वाले थोड़ा 2 भी इस गरीब को दें तो इसका अच्छा निर्वाह हो सकता है / जल की बूंद बूंद गिरने से घड़ा भर जाता है / 17 हमारे देश का जल वायु ऐसा विचित्र है कि वर्षा ऋतु में एक क्षण में ठंडी हवा चलती है और क्षण में कड़ाके की धूप निकलती है।३ / 18 व्यायाम से मनुष्य में 1 रेष् / 2 प्राविकसौत्रिक-वि० / 3 परि धा, वस् अदादि प्रा० / ४-प्रतिश्याय, पीनस-पु। 5 पुप्फुसशोथ-पु.। 6-6 अध्ययनाद् व्यपवर्ततेऽस्य चेतः / ७-प्रा छिद् रुधा०, आ मृश तुदा०। ८-गृह, गेह, निकेतन, सदन, सद्भन्, वेश्मन्, उदवसित, भवन, शरण, अगार, मन्दिरनपु / निकाय्य, निलय, आलय-पु०। ६-अनु मि० स्वा० उ०, अनु मा जुहो० प्रा० / तर्क चुरा० / १०-वेष, माकल्प-पु / नेपथ्य नपुसक / 11-11 वेषभूषायां भूय एवाभिवर्धते रुचिः। 12-12 विशिखावास्तव्याः, रध्यास्थाः / यहाँ 'रथ्यापुरुषाः' नहीं कह सकते, कारण कि 'रथ्यापुरुष' माधारण, अल्पाक्षर अथवा अनक्षर पुरुष को कहते हैं। 13-13 क्षणेनातिशिशिरो वहति समीरः, क्षणेन च रविरतितीक्ष्णं तपति /