________________ ( 45 ) ग्नि से सब कमी को जला दिया है 'उस पण्डित को पाप छूता नहीं / 16-* एक बड़ा दोष है, मुझे भोजन नहीं पचता है, सुन्दर बिस्तरे पर भी निद्रा नहीं पाती। संकेत२-पुरा वर्षति देवः, संवृत्तो विद्यालयः, विद्यार्थिनश्च यथास्वं गृहाणि यान्ति [यथायथं गृहानभिवर्तन्ते ] / यहाँ 'पुरा' के योग में निकट भविष्यत् के अर्थ में लट का प्रयोग हुआ है / 'यावत्पुरानिपातयोर्लट्' / ३-यो दीव्यति स यरिदेवयते / द्यूतं च (देवनं च) गर्हन्त शिष्टा:-यहाँ 'शिष्टसमाजः, कहने की रीति नहीं। हां 'शिष्टलोकः' "शिष्टजनः' कह सकते हैं। ११-देवदत्तो यज्ञदत्तस्य षोडशीमपि कलां न स्पृशति / [देवदत्तो देवदत्तस्य पादभागपि न भवति / क्व भोजराजः क्वच कुजस्तैली। १२-अमी भावा यतात्मानमपि स्पृशन्ति / १३-प्रक्षारणा मे मर्माणि स्पृशति, अन्यद् मिथ्याभिशंसनं न तथा तुदति / अभ्यास--३ 1--* तारों को देखकर वह मौन व्रत तोड़ता है। २--शेरों की गरज' और 'हाथियों की चिंघाड़ से विन्ध्य का महान् जंगल घूज' रहा है। 3-* घर के मूल पुरुष के निःसन्तान मर जाने पर उसकी सम्पत्ति राजा को प्राप्त होती है। ४-भारत में जो दिन रात परिश्रम करते हैं उनको भी दिन में दो बार पेट भर खाने को नहीं मिलता है। ५--बेसमझ लोग जहाँ तहाँ थक देते हैं। दुर्भाग्य से ऐसे लोग भारत में बहुत हैं। ६-जो व्यायाम करते हैं वे मोटे नहीं होते, सौर न बीमार होते हैं / ७-उसे बहुत सबेरे उठने की आदत है / उठते ही वह शौच जाता है। तदनन्तर दातुन कर सैर के लिए निकल जाता है। और लौटने पर कुछ विश्राम कर स्नान करता है। -* हे लक्ष्मण ! देखो चम्पा में परम धार्मिक बगुला धीरे धीरे पग धरता है इस डर से कि कहीं जीवहत्या न हो जाय / ६-शरद् ऋतु में धाने पक जाता है, काश फूलती है और कमल खिलते हैं और चन्द्रमा भी अनूठी शोभा को धारण करता है। 10-* अग्नि कभी इन्धन से तृप्त नहीं होती और समुद्र नदियों से / 11--* जहाँ स्त्रियों की पूजा होती हैं 1-1 न पण्डितं तं पाप्मा स्पृशति / २-परिनम्, ज निवा० प० / 2-3 कण्ठीरवरवे:, मृगेन्द्रजिते: / ४-४करिबृहितैः / ५-५प्रतिध्वनति /