________________ . ( 20 ) यह उनके शरीर के विकास के लिये आवश्यक भी है / ४-लजा स्त्रियों (योषा) का भूषण (भूषा) है और प्रौढ़ता पुरुषों का। कहा भी है-लजावती ( सलज्जा ) गणिकायें नष्ट हो जाती हैं और निर्लज्ज कुलाङ्गनाएँ, / ५-क्या जल्दी ( त्वरा) है अभी गाड़ी (रेलयान नपु०) चलने में बहुत देर है। घबराइये नहीं। ६–सन्त परमात्मा की सच्ची' मूर्ति' (प्रतिमा) हैं। इन में सत्त्व का प्रकाश बहुत बढ़ा चढ़ा होता है / ७--परीक्षा निकट आ रही है, अत: छात्र अध्ययन में ही रातें ( निशा, क्षपा, क्षणदा, त्रियामा) बिताते हैं। ८-रमा लक्ष्मी ( पद्मा, पद्मालया, हरिप्रिया) का नाम है / इस लिये विष्णु को रमा का ईश होने से रमेश कहते हैं। 8-जनता का विचार है कि शिल्प और कला की शिक्षा से देश की आर्थिक दशा सुधरेगी। १०–बुद्धि (प्रज्ञा) और स्मरण शक्ति (मेधा) दोनो ही मनुष्य की सफलता (कृतार्थता, सिद्धार्थता) में सहायक हैं। ११--पृथ्वी (धरा ) हम सबको धारण करती है, इसलिये इसे 'विश्वम्भरा' कहते हैं / १२--दुर्जनों के फन्दे में आया हुआ कौन बचकर निकला। 13 क्षुद्र लोग जब थोड़े में ही सफलता को प्राप्त कर लेते हैं तो उनमें अपने लिये गौरव का भाव ( पाहोपुरुषिका ) उत्पन्न हो जाता है। १४--पाज पवित्र दिन है। आज देवदत्त की पुत्री (सुता, आत्मजा, तनूजा) का विवाह होगा / बारात (जन्या) की प्रतीक्षा हो रही है। १५-हरिमित्र अपने देश में ही काते और बुने हुए गाढ़े और सादे वस्त्र को पहनता है, अतः बन्धुओं (बन्धुता" ) में इसका बहुत मान है / संकेत-१-विद्वत्ता च प्रतिभा च काव्येऽलंकीणतां कुरुतः / ३-खेला (क्रीडा) हि बालानां प्रिया भवति / एषा चामीषां कायविकासायाऽपेक्षिता च / यहाँ 'पावश्यक' का प्रयोग ठीक नहीं होगा। आवश्यक =जो अवश्य होना है अपरिहार्य है। 5 का त्वरा / चिरात्प्रयास्यति रेलयानम् / मा स्म व्याकूलीभूः / १५–हरिमित्र: स्वदेशे कृत्तोतं स्थूलमनुल्बणं च वसनं वस्ते, महल मान्यते बन्धुतया। 1-1 परमार्थप्रतिमा। 2-2 भदूरे परीक्षा / ३–नयन्ति, गमयन्ति, यापयन्ति, क्षपयन्ति / 4-4 जनता पश्यति / 5 साधूभविष्यति / 6--6 पुण्याह-नपुं० / 7 बन्धूनां समूहो बन्धुता बन्धुवर्गः / यहाँ समूह अर्थ में तल प्रत्यय हुमा।