________________ ( 25 ) प्रभु की विभूतियों का साक्षात् दर्शन करते हैं। 13 - यह इतना तीव्र विष है कि इसकी एक ही बिन्दु ( बिन्दु ) प्राणों को हर लेती है। १४-आग में तपाई हुए धातुओं के मल जिस प्रकार नष्ट हो जाते हैं उसी प्रकार प्राणों के निग्रह से इन्द्रियों के दोष दूर हो जाते हैं / १५-देवदत्त स्वयं तो लम्बा (प्रांशु ) है, पर उसका भाई नाटा (पृश्नि ) है। १६-विद्या-विख्यात ( विद्याचुञ्च ) इस महात्मा का लोक में बड़ा आदर क्यों न हो ? १७-साहू ( साधु ) लक्ष्मीनारायण अधिक सूद नहीं लेता और असमर्थ ऋणियों के साथ नरमी का व्यवहार करता है। संकेत-३-अद्य स मां प्रत्यभिजानातु मा वा, बाल्ये तु पांसुषु सममक्रीडाव / 'पांसु' का प्रायः बहुवचन में प्रयोग देखा जाता है / ४-रात्रिरेषा, दूरे च वसतिः, अभितश्च फेरूणां फेत्कारः श्र यते / १०-यद्भवतु तद्भवतु, असवो रक्षणीयाः / स्वयं गते जगजालं गतमेव न संशयः / 16 -विद्याचुञ्चोरस्य साधोर्लोके बहुमानः कथं न स्यात् ? = (विद्यया वित्तः प्रसिद्धः = विद्याचुञ्चुः / विद्याचरणः / तेन वित्तश्चुचुपचणपौ' (5 / 2 / 26) / चुञ्च तथा चरण प्रत्यय हैं / अभ्यास-२० (उकारान्त स्त्री लिं० ) 1- गाय (धेनु) का दर्शन मंगल माना जाता है और यह बिना कारण नहीं। 2- यदि आर्य गोपूजा करते हैं तो ठीक ही करते हैं। इस देश के लोगों का गौएँ धन हैं। ३-चिड़िया चोंच ( चञ्चु ) से दाने चुग रही है (उच्चिनोति) और चुग 2 कर बच्चों के मुंह में डालती जाती है (आवपति)। 4- यह पतला दुबला शरीर (तनु) इस योग्य नहीं कि धूप सह सके / ५उसके दांतों में पीप पड़ गई है, जिससे उसके सारे जबड़े (हनु) में दर्द है / 6 - चिरतक रुग्ण रहने से यह ब्राह्मणी ऐसी पीली (पाण्डु) हो गई है मानों रक्त की एक बूंद भी नहीं रही। ७-चूहिया (पाखु) बहुत तंग करती है, विल्लो (प्रोतु) से भी नहीं पकड़ी जाती, जो चीज मिले कुतर 2 डालती है / ८-तन्दूर (कन्दु) में पकाई हुई चपातियाँ सुपच होती हैं / पञ्जाब' के पश्चाद्ध में इसका बहुत प्रचार है' / —यह कितना सुडौल शरीर है। कैसे सुन्दर पढ़े १-वृद्धि-स्त्री०।२-कृन्तति / 3-3 पञ्चनदपश्चाद्धेऽस्याः प्रचुरो व्यवहारः /