________________ ( 24 ) (गन्त्री) के एकाएक उलट जाने से सवारियों की हड्डी पसली टूट गई। 8-* उदारता से उन्नतमन वालों के लिये पाँच हजार क्या चीज है, लाख क्या चीज है, करोड़ भी क्या चीज है, (नहीं नहीं) रत्नों से भरी हुई पृथ्वी भी क्या चीज है। १०-यह तीक्ष्ण सींगों वाली दूध भरे स्तनों वाली, सुन्दर कानों वाली गो (पयस्विनी, अनड्वाही, सौरभेयी) किसकी है ? ११-देवता और असुर दोनों (उभयी) ही प्रजापति की प्रजा हैं / संकेत-४- इयं हिरण्मयी सीतायाः प्रतिकृतिः। यहाँ 'हिरण्यमयी' कहना अशुद्ध होगा। 5- मगनाभोगे विद्य द्रखावलयिता कादम्बिनी कामप्यपूर्वा सुषमा पुष्यति / ८–गन्त्र्या: सहसा पर्याभवनेन तदारूढानां कोकसानि पशुकाश्च भग्नानि / १०--कस्येयं तीक्ष्णशृङ्गी बटोनी चारुकर्णी पयस्विनी ? 11 - उभय्यः प्रजापतेः प्रजा देवाश्चासुराश्च / अभ्यास-१६ (उकारान्त पु०) 1- क्या तुमने कभी ईख (इक्षु) का रस पीया है ? नियम से पीया हुआ यह रस शरीर में तेज (दीप्ति) भर देता है / 2 - मैं परदेशी (आगन्तु) हूँ। इसलिये मैं जानना चाहता हूँ कि यह वच्चा (शिशु) कौन है / 3 - आज चाहे वह मुझे न जाने, बचपन में हम दोनों धूल (पांस) में खेलते रहे। ४-रात का समय है बस्ती दूर है और चारो ओर गीदड़ों (फेरु) की हू हू (फेत्कार) ही सुनाई देती है / 5 - श्री राम ने समुद्र पर पुल (सेतु) बाँधा और सेना पार उतार कर रावण का संहार किया। ६-थोड़े के बदले बहुत देना चाहता हुआ तू मुझे विचारहीन मालूम होता है / 7 - वसन्त (मधु) में सृष्टि उज्ज्वल वेषवाली नई दुलहिन ( वधू ) की तरह प्रतीत होती है / ८-श्री राम ने अश्वमेध यज्ञ ( मन्यु, ऋतु) प्रारम्भ किया है और एक वर्ष में लौटने के लिए घोड़ा खुला छोड़ दिया है / 6-* (बच्चा) स्नेह रूपी तन्तु है जो हृदय के मर्मों को सी देता है / 10- चाहे कुछ भी हो, जान (असु) बचानी चाहिए / पाप मरे जग परलउ / 11 - अनार्य लोग घुटने (जानु) टेक' कर' और भूमि पर मस्तक झुका कर ईश्वर से प्रार्थना करते है / 12 - यति पहाड़ों की समतल भूमि (सानु) पर निवास करते हैं और 1--1 निरर्गलो विसृष्टः / २--अन्वाच्य /