________________ ( 40 ) तधमः ( अमर ) / सा वीराशंसनं युद्धभूमिर्यातिभयप्रदा ( अमर ) / यदधमरणनोत्तमाय मूलधनातिरिक्तं देयं तद् वृद्धि:--काशिका। 7- देवाश्चासुराश्वोभये [ द्वये ] प्राजापत्याः। एते मिथः संसक्तवेराः / ८--केचदाजानदेवा: केचित्कर्मदेवाः / उभयेषामपि [द्वयानामपि] पुनर्भवो न / १०--वह मेरा हृदय था तच्च हृदयम् / यहाँ 'यद्' का प्रयोग नहीं है, केवल 'तद्' का है। 'हृदय' विधेय है, विधेय को प्रधान मान कर तदनुसार 'तद्' का नपुंसक लिङ्ग में प्रयोग हुआ / इसी प्रकार 11 वें वाक्य में 'वह मेरा प्यारा पुत्र है' इसके अनुवाद 'तत्पुत्रभाण्ड हि मे' में भी जानो। १७-यदेते गृहागतेषु शत्रप्वप्यातिथेया भवन्ति स एषां कुलधर्मः। वाक्यार्थ का परामर्श करने के लिये सर्वनाम का नपू. में प्रयोग होता है। क्योंकि वावयार्थ [ =क्रिया ] का किसी दूसरे लिङ्ग से परामर्श हो भी नहीं सकता, अतः यहाँ पूर्व वावय में 'यद्' नपृ० में प्रयुक्त हमा है। 'तद्' शब्द ने विधेय 'धर्म' के लिङ्ग को लिया है। अभ्यास-३१ (संख्या-वचन) १-इस कक्षा में इकसठ लड़के हैं, जिनमें उन्नीस उत्तम कोटि के हैं, पन्द्रह मध्यम कोटि के और सत्ताईस अधम कोटि के हैं। २--अड़तालीस में बत्तीस जोड़ने से अस्सी होते हैं और एक सौ दस में से पचास निकालने से शेष साठ रहते हैं। ३-दस हजार पाँच सौ बासठ को पाठ सौ चौवन से गुणा करो और एक अरब पचीस करोड़ बाईस लाख बयासी हजार नौ सौ बत्तीस को तेंतीस लाख पचासी हजार सात सौ छप्पन से बाँटो। ४-ऋग्वेद की इक्कीस शाखायें हैं, यजुर्वेद की 'एक सौ एक', सामवेद की एक हजार और मथर्ववेद की नौ। कुल मिलकर ग्यारह सौ इकत्तीस होती हैं / ५-विक्रम संवत् 2004 में भारतवर्ष की सदियों की खोई हुई स्वतन्त्रता फिर प्राप्त हुई / 'यह दिन इस देश के इतिहास में सुनहरी अक्षरों में लिखा जायगा / ६कल हमारे विद्यालय का पारितोषिक वितरण उत्सव था। भिन्न 2 श्रेणियों के कुल पचहत्तर छात्रों को पारितोषिक' बाँटे गये। ७--विभाजन के पश्चात् इस देश की पावादी पतीस करोड़ के लगभग है। सन् 1646 मे नई जन - 1-1 एकशतम् / २--अयं सुदिवस एतद्दे शेतिहासपत्रपु कार्तस्वररसेन न्यस्ताक्षरो भविष्यति / 3-3 पञ्चसततये छात्रेभ्यः /