________________ ( 16 ) ११-वह पिता की मृत्यु ( मरण, निधन ) सुनकर बड़ा दुःखी हुआ। कुछ समय तक बेहोस रहा, फिर शोतलोपचार से धीरे 2 होश में आया। 12 इन दोनों की प्राकृति (संस्थान) ऐसी मिलती है मानो ये दोनों सगे भाई हैं / १३-काफिले का नेता जहाज के डूबने से (नौव्यसने) मर गया / बहुत से समुद्री व्यापारी ( सांयात्रिक पु० ) भाग्यवश बच गये / १४–नाविक (केवर्त, कर्णवार पु०) यात्रियों को सुख से पार पहुंचाता है / १५-उम्बेकाचार्य ने सच कहा है कि * कल्याण एक दूसरे के पीछे चले आते हैं। १६घोड़े पर काठी डाल, मुह में लगाम दे, रिकाबों में पैर धर और बागें हाथ में ले वह हवा हो गया। १७-लक्ष्मण ने कहा- मैं कुण्डलों को नहीं जानता, बाहुबन्धों को नहीं जानता, पर नूपरों को पहचानता हूँ, क्योंकि मैं नित्य ( सीता के ) चरणों में नमस्कार किया करता था। संकेत-४--यहाँ मूल में 'समुद्रपल्वलयोः' ऐसा समास है, यद्यपि क्रम के अनुसार पल्वल (नपु०) पहले आना चाहिए था, पर 'समुद्र' अभ्यहित होने के कारण समास में पहले रखा गया है। ५-सस्यलावाः कृषीवला दात्राणि सहादाय क्षेत्रं यान्ति / ६-त्वं सर्वथा निर्दुष्टमालेख्यमालिखसि / अत्र केनाभिविनीतोऽसि ? ६-अनियन्त्रितं ते तुण्डम् / सर्वकालमसमञ्जसं वक्षि / १६--अश्वे पर्याणमारोप्य, मुखे खलीनं दत्त्वा, पादधान्योः पादौ न्यस्य प्रग्रहांश्च (वल्गाश्च ) हस्तेनादाय स वातरंहसा निरयात् / पादधानी स्त्री॰ है। १०--तान्सुखं प्रष्टुं यामि / दिनपूगः (अहर्गणः) तेषां दृष्टानाम् / अतोऽशान्तं मे स्वान्तम् / अभ्यास-१५ (आकारान्त स्त्रीलिङ्ग) विद्वत्ता और प्रतिभा से काव्य निर्माण में सामर्थ्य उत्पन्न होता है / २असूज और कार्तिक में चांदनी (चन्द्रप्रभा) बहुत मानन्ददायक होती है, विशेष कर तालाबों और बगीचों में। 3- बच्चों को खेल प्यारी होती है और 1-1 यहाँ 'पितरमुपरतं श्रुत्वा' ऐसा भी कह सकते हैं ।२-२प्रत्यागता / 3-3 (संस्थाने ) संवदतः। 4-4 सार्थवाह-पु०।५ दैवात् / 6-6 पारं नयति / ७-प्रण कर्मणि चेत्यनेन क्रियायां क्रियायामण / सस्यं लविव्यन्तीति सस्यलावाः / ८-तटाक पुं०, नपुं० / कासार-पु.।