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( १४ ) जाने लगा । तारे मार्ग दिखाने लगे। चंद्रदेव ने भी धीरे धीरे अपनी प्रियतमा चांदनी के साथ अग्रसर हो अमृत वषोना शुरू किया । लोग भी ग्रामोद प्रमोद में प्रसन्नचित्त होते हुए, भावी मंगल की सूचनावाले स्वप्नों के सफल दर्शन के लिये निद्रा देवी की गोद में सो गये। . रात्री बीतने लगी। पौ फटी। लाल साड़ी पहिने
प्रकृति की लाडिली बेटी उषा-रानी हाथ में सोने का थाल • लिये पूर्व की तरफ से आने लगी ।। संसार के समस्त प्राणी जगने लगे और अपनी २ भाषा में स्वागत करने लगे। मंगल बाजे बजने लगे। चैतालिक लोग स्तुति पाठ करने लगे । जय २ शब्दों से शिविर गूंज उठा। महाराजा ने भी अंगड़ाई लेते हुये उठ कर प्रातः कालीन आवश्यक कृत्यों से निवृत्त हो आगे प्रस्थान का आदेश दिया। बात की बात में सब तैयार हो गये और वहां से आगे को चल दिये। ____ महाराजा का सारा साथ मार्ग में आने वाली नदियों में, बड़े २ पद्म सरोवरों में, मुक्ता के समान निर्मल जल वाली बावड़ियो में अपनी रुचि के अनुसार क्रीड़ा करता हुआ, रमणीय वनो-उपवनों में कमनीय लता कुजों उद्यानों में विहार करता हुआ आगे बढ़ रहा था। रास्ते में