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अर्थ-हे बुद्धिमानो ! संसार-परिभ्रमण से यदि आपका मन पराङ्मुख बना हो और अनन्त सुख को पाने के लिए आपका मन उन्मुख बना हो, तो शुभ-भावना रूपी अमृत रस से भरपूर मेरे इस 'शान्त सुधारस' का श्रवण करो ।। ३ ।।
विवेचन 'शान्त सुधारस' की उपयोगिता
गर्मी में लम्बी पदयात्रा से अत्यन्त थका हुआ पथिक आपने देखा ही होगा अथवा लम्बी पदयात्रा का आपने अनुभव भी किया होगा। लम्बी पदयात्रा से व्यक्ति थककर चूर हो जाता है, सिर पर से सतत पसीना छूटने लगता है और सारे कपड़े पसीने से लथपथ हो जाते हैं। श्रम से अत्यन्त थका हा व्यक्ति वृक्ष की शीतल छाया में विश्राम करना चाहता है और उस थकावट में यदि उसे ठंडा पानी मिल जाय तो उसकी काफी थकावट दूर हो जाती है।
बस! इसी प्रकार यदि आपको इस अनादि संसार के परिभ्रमण से थकावट लग रही हो और उस थकावट से आप मुक्ति चाहते हों तो पू. विनयविजयजी म. कहते हैं कि मेरे इस 'शान्त सुधारस' का आप अवश्य श्रवण करो। ___ठंडे पानी का वास्तविक मूल्यांकन वही कर सकता है जो गर्मी से अत्यन्त संतप्त हो। इसी प्रकार इस 'शान्त सुधारस' ग्रन्थ का भी वास्तविक मूल्यांकन वही कर सकता है, जो इस संसार से उद्विग्न बना है। अनादि से अपनी आत्मा इस संसार में भटक रही है, परन्तु इस परिभ्रमण का जिसे ज्ञान ही नहीं है, वह आत्मा इस 'शान्त सुधारस' का मूल्यांकन नहीं कर सकती है। .
शान्त सुधारस विवेचन-७