Book Title: Ratanchand Jain Mukhtar Vyaktitva aur Krutitva Part 2
Author(s): Jawaharlal Shastri, Chetanprakash Patni
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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[ पं० रतनचन्द जैन मुख्तार :
अर्थ- शुद्ध परमाणुरूप से रहना सो स्वभावद्रव्यपर्याय है । शुद्धपरमाणु में वर्णादि से अन्य वर्णादिरूप परिणमना स्वभावगुणपर्याय है ।
परमाणु शुद्धद्रव्य है, अतः उसके गुण भी शुद्ध हैं, अतः उन गुणों में जो परिणमन होता है वह स्वभावपरिणमन है । जब वह परमाणु अन्य परमाणु के साथ बन्ध को प्राप्त हो जाता है तो वह द्वयणुक आदि स्कन्धरूप शुद्ध पुद्गलद्रव्यपर्याय हो जाती है अतः उसके गुण भी अशुद्ध हो जाते हैं और उन गुणों का परिणमन भी विभाव परिणमन होता है ।
इसी प्रकार श्रात्मा की भी संसार अवस्था में पौद्गलिक कर्मों से बंध के कारण असमानजाति अशुद्धद्रव्यपर्याय हो रही है । संसारी जीव के गुण और उन गुणों का परिणमन भी प्रशुद्ध हो रहा है, क्योंकि आत्मद्रव्य अशुद्ध हो रहा है । द्रव्य के शुद्ध होने पर गुण शुद्ध होंगे और द्रव्यपर्याय व गुणपर्यायें शुद्ध होंगी।
जबतक परमाणु बंध को प्राप्त नहीं हुआ अर्थात् अबंध अवस्था है वह स्वयं शुद्ध है और उसके गुणों का परिणमन स्वाभाविक परिणमन है ।
वनस्पति के कारण को कारण परमाणु नहीं कहा
शंका- नियमसार गाथा २५ में कहा है 'जो पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु का कारण है, वह कारण परमाणु है' जो वनस्पति का कारण है, उसे कारण परमाणु क्यों नहीं कहा जबकि वनस्पतिरूप स्कन्ध का भी कारण नियम से परमाणु ही है ।
समाधान - नियमसार गाथा २५ इस प्रकार है
- जै. ग. 15-1-70/ VII / राजकिशोर
घाउच उक्कस्स पुणो जं हेऊ कारणंति तं रोयो । खंधाणां अवसाणो णादवो कज्जपरमाणु ||२५|| नि. सा. चार धातुनों का जो कारण है, उसको कारण परमाणु कहा है। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु चार धातुयें मानी गई हैं । इन चारों धातुम्रों का कारणपरमाणु एक ही प्रकार का है । जैसा बाह्य निमित्त मिलता है वह परमाणु उस धातुरूप परिणम जाता है । चार धातुओं के लिये भिन्न-भिन्न प्रकार के परमाणु कारण नहीं हैं जैसा कि अन्य मतवालों ने माना है । परमाणु एक ही प्रकार का है, वह बाह्य निमित्तों के कारण पृथ्वी, जल, अग्नि- वायुरूप परिणमन कर जाता है । वनस्पति धातु नहीं है । वनस्पति के लिये पृथ्वी प्रादि धातुएँ कारण होती हैं । अतः वनस्पति के लिए जो कारण है, उसे कारण परमाणु नहीं कहा गया ।
स्कन्ध व परमाणु दोनों द्रव्य हैं। सर्व परमाणुओं की समान पर्यायें नहीं होती हैं
शंका- पुद्गलद्रव्य परमाणु को कहा या स्कंध को ? यदि स्कन्ध भी पुद्गलद्रव्य है तो क्या वह शुद्ध है ? प्रत्येक परमाणु में एकसी शक्ति होती है ?
समाधान - परमाणु भी पुद्गलद्रव्य है और स्कन्ध भी पुद्गलद्रव्य है ।
" अणवस्कन्धाश्च ||२५|| ( तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय ५ )
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- पत्राचार / ज. ला. जैन, भीण्डर
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