Book Title: Ratanchand Jain Mukhtar Vyaktitva aur Krutitva Part 2
Author(s): Jawaharlal Shastri, Chetanprakash Patni
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
View full book text
________________
व्यक्तित्व और कृतित्व ]
[ १३८१ समाधान–'प्रति' शब्द के अनेक अर्थ हैं । यहां प्रति शब्द का प्रयोग 'समान' अर्थ में हुआ है । जो मुख्य गणधर के समान हो वह प्रति गणधरदेव अर्थात् मुख्य गणधर के अतिरिक्त जो अन्य गणधर हैं वे प्रतिगणधरदेव कहलाते हैं । उनके वचनों के अनुसार प्रारातीय प्राचार्यों ने ग्रन्थों की रचना की है।
-पनाचार/ज. ला. जैन, भीण्डर प्रतीति ( श्रद्धा) के पर्यायवाची शब्द शंका-मिथ्यावृष्टिजीव भी समाधि लगाता है तथा दूसरे भी। तब क्या ध्यानावस्था में उस मिथ्यादृष्टि को आत्मा का भान है ? चौथे गुणस्थान में क्या आत्मानुभव होता है ?
समाधान-चौथे गुणस्थान में प्रात्मा की प्रतीति, रुचि अथवा श्रद्धा होती है। प्रतीति के ही पर्यायवाची नाम 'संवित्ति, उपलब्धि, प्रतीति, अनुभूति, स्वसंवेदन' है ( पंचास्तिकाय पृ० २९-३० रायचन्द्र ग्रन्थमाला )। परीक्षामुख में भी कहा है-'स्वस्यानुभवनमर्थवत्' अर्थात्-जैसे अर्थ का निश्चयज्ञान होय है वैसे ही स्व का अनुभवन ( निश्चयज्ञान ) होता है । निश्चयज्ञान (श्रद्धान) को अनुभवन कहते हैं ।
-जें. ग. 31-10-63/IX/ सु. आदिसागर पातनिका
शंका-वृहद्रव्यसंग्रह में पृ० ३ पर 'समुदाय पातनिका' शब्द आया है । पातनिका शब्द का क्या अर्थ है?
समाधान-'पातन' शब्द से पातनिका बना है। 'पातन' का अर्थ डालना है। आगे कहा जानेवाला श्लोक, गाथा, सूत्र किस विषय में डाला जावे उसकी सूचना देने वाला 'पातनिका' शब्द है। अतः यहां पर 'पातनिका' का अर्थ भूमिका है । इसे अंग्रेजी में Head Note कहते हैं।
--णे ग. 13-5-76/VI/2.ला. जैन
'प्रदेश' का लक्षण शंका-(१) खंध सयल समत्थं, तस्स य अद्ध भणंति देसोत्ति ।
- अद्ध च पदेसो, अविभागी होदि परमाणु ॥ (ति.प., गो.सा.जी., पं.का., भा.सं., वसु. श्रा.) (२) जाववियं आयासं, अविभागी पुग्गलाण वट्ठद्ध ।
तं खु पदेस जाणे, सव्वाशुटाण दाणरिहं ॥ (द्र० सं० )
उपर्युक्त दोनों गाथाओं में वणित प्रदेश के लक्षण में आकाश-पाताल का अन्तर है, एक के अनुसार स्कन्ध का चौथाई 'प्रदेश' होता है और दूसरी के अनुसार पुद्गल के अविभागी टुकड़े द्वारा रोका हुआ क्षेत्र 'प्रदेश' होता है, दोनों में इतना फर्क क्यों ? पहली में अविभागी परमाणु और प्रदेश को एक न बताकर अलग-अलग बताया है जबकि दूसरी में परमाणु और प्रदेश को एक ( अविनाभावी ) बताया है, ऐसा क्यों ?
____ समाधान-उपर्युक्त पहली गाथा में जो 'पदेसो' शब्द आया है उसका अर्थ स्कन्ध का चौथाई भाग है और दूसरी गाथा में जो 'पदेस' शब्द आया है उसका अर्थ है पुद्गल परमाणु के द्वारा रोका हुना एक शब्द के अनेक अर्थ होते हैं। इसमें कोई बाधा नहीं है। जिसप्रकार 'दर्शन' शब्द का अर्थ 'देखना' भी है. 'श्रद्धान' भी है और 'मत' भी है। शब्द संख्यात हैं और पदार्थ अनन्त हैं अतः एक शब्द के अनेक अर्थ होते हैं।
-. सं. 21-6-56/VI/र. ला. जे. केकड़ी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org