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४० . .. राजपूताने के जैन-धीर मुसलमानों के अधीन भी रहा था-गुहिलवंशियों (सीसोदियों) . के ही अधिकार में चला आता है ।
. चित्तौड़गढ़ जंकशन से किले के ऊपर तक पक्की सड़क बनी . हुई है। स्टेशन से खाना होकर अनुमान सवा मील जाने पर
गम्भीरी नदी आती है । जिस पर अलाउद्दीनखिलजी के शाहजादे खिज़रखाँ का बनवाया हुआ पाषाण का एक सुद्ध पल है । पुल : से थोड़ी दूर जाने पर कोट से घिरा हुआ चित्तौड़ का करवा. आता है । जिसको तलहटी कहते हैं |" .'.
यहाँ की मनुष्य-संख्या सन् १९३१ में ८०४१ थी । दिगम्बर जैनियों का एक शिखरवन्द मन्दिर एक चैत्यालय और श्वेताम्बर जैनों के दो मन्दिर यहाँ बने हुये हैं। कस्बे में जिले की कचहरी. है जिसके पास से किले की चढ़ाई प्रारम्भ होती है। यहीं से किले पर जाने के लिये पास मिलता है। .. .. ... "चित्तौड़का दुर्ग समुद्र की सतहसे १८५० फुट ऊँचाई वाली सवा तीन मील लम्बी और अनुमान आध मील चौड़ी उत्तरदक्षिण-स्थित एक पहाड़ी पर बना हुआ है और तलहटी से किले की ऊँचाई ५०० फुट है । पहाड़ी के ऊपरी भाग में समान भूमि आ जाने के कारण वहाँ कई एक कुंड, वालाव, मन्दिर, महल आदि बने हुए हैं। और कुछ . जलाशय तो दुष्काल में भी नहीं सूखते । पहले इस दुर्ग पर आबादी बहुत थी, परन्तु अब तो
* राजपूताने का इ० पहली वि० पृ० ३४९-५० । । राजपूताने का इ०.५० जि० पृ० ३५० :