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राजपूताने के जैन वीर
मंत्री मंडन का वीर वंश ।
पं० शोभालालजी शास्त्री ने नागरी प्रचारणी पत्रिका भाग ४
अंक १ में लिखा है :
GORANI
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भारतवर्ष वर्ष किसी दिन ज्ञान और विद्या का भांडार था। यहां के राजा महाराजा और उनके मंत्री बड़ेर विद्वान् होते थे । उनका ज्ञान केवल युद्धविद्या और राज्यप्रवन्ध में ही मर्यादित नहीं होता था किंतु काव्य, साहित्य, संगीत आदि अन्य विषयों में भी वे असाधारण ज्ञान रखते थे ।
राज्य के भीतरी प्रबन्ध और बाहिरी संधिविग्रहादि कार्यो में व्यस्त रहने पर भी ऐसे ऐसे ग्रंथ लिखना उस समय के नरपतियों तथा मंत्रियों के प्रौढ़ विद्यानुराग को सूचित करता है। आज मैं पाठकों के सम्मुख एक ऐसे ही मंत्रि रत्न के चरित्र को उपस्थित करता हूँ, जो प्रायः पौने पांच सौ वर्ष पूर्व भारतवर्ष को उज्वल कर चुका है, और जिसकी अलौकिक प्रतिभा के कुछ नमूने उसके : स्मृति-चिन्ह स्वरूप आज भी हमें दृष्टिगोचर होते हैं।
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इसका नाम मंडन था और जालौर के सोनगरा (चौहान क्षत्रियों के) वंश में इसका जन्म हुआ था।