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मंडन का वीर वंश २९१
मंडन का वीर वंश १. प्राम:__ जाबालपत्तन (जाबालिपुर जालौर) में स्वर गिरीय (सोनगर) गोत्र में, जो श्रीमाल नाम से भी विख्यात था, आम नामक एक व्यक्ति हुआ। यह बड़ा ही बुद्धिमान था। सोमेश्वर राजा का यह मुख्य मंत्री था और संपूर्ण कार्यों में इसकी बहुत ही कीर्ति थी। ये सोमेश्वर अजमेर के राजा और भारत के सुप्रसिद्ध अंतिम हिन्दू-सम्राट पृथ्वीराज के पिता सोमेश्वर हों, ऐसा अनुमान होता है, क्योंकि उस समय जालौर नागौर आदि प्रदेश इन्हीं के अधीन थे। सोमेश्वर के समय के ५ शिलालेख वि० सं० १२२६, १२२८, १२२९, १२३० और १२३६ के मिले हैं, अतः उन के मंत्री आभू का समय भी इसी के आस पास मानना चाहिए। २. अभयदा
आभू का पुत्र अभयद नामक हुआ। यह आनंद नामक राजा का मंत्री था । इसने गुजरात के राजा से विजयलक्ष्मी प्राप्त की थी। यह आनंद कौन था, इसका ठीक तरह पता नहीं चलता । संभव है कि यह आनंद सोमेश्वर का पिता अर्णोराज हो, जिसके दूसरे नाम आनलदेव, पानक और पानाक भी थे । पृथ्वीराज विजय में लिखा है, कि अर्णोराज के दो रानियाँ थीं, एक मारवाड़ की सुधवा और दूसरी गुजरात के राजा (सिद्धराज) जयसिंह की पत्री काँचनदेवी । इस कांचनदेवी का पत्र सोमेश्वर हुआ।