Book Title: Rajputane ke Jain Veer
Author(s): Ayodhyaprasad Goyaliya
Publisher: Hindi Vidyamandir Dehli

View full book text
Previous | Next

Page 353
________________ आबू पर्वत पर के प्रसिद्ध जैनमन्दिर ३३१ के व्यापार और नौका सम्बन्धी चित्र तथा संग्राम सम्बंधी चित्र भी किये गये हैं इसके अलावा इसकी छतों में जैनधर्म से सम्बन्ध रखनेवाली कथाओं के चित्र भी खोदे गए हैं।" कर्नल टॉड को, जिस समय वे विलायत को लौट गए थे; मिसेज विलिय हण्टरबेर ने तेजपाल के मन्दिर के गुम्बज का एक चित्र बनाकर दिया था । इससे टॉड साहब उन मेमसाहब के इतने कृतज्ञ हुए कि, आपने अपनी बनाई हुई 'ट्रेवल्स इन वेस्टर्न इण्डिया' नाम की पुस्तक उन्हें अर्पण (Dedicate) करदी | ये दोनों मन्दिर बहुत ही सुंदर और एक दूसरे की बराबरी के हैं। इनसे उस समय के इजीनियरों की शिल्प निपुणता, तथा उस समय के लोगों की सभ्यता, धर्म-निष्ठता, धनाढ्यता और उदारता साफ झलकती है । . तेजपाल के मन्दिर से थोड़ी ही दूर पर भीमासाह का ननवांया हुआ मन्दिर है । इसको अब लोग भैंसासाह कहते हैं । इसमें १०८ मन वज्रन पीतल की आदिनाथ की मूर्ति है । ( इसको सर्व धातु की मूर्ति भी कहते हैं) यह मूर्ति वि०सं० १५२५ ( ई०स० १४६९) फाल्गुन सुदि. ८ को गुर्जर श्रीमालजाति के मन्त्री सुन्दर और गंदा ने स्थापित की थी। ये दोनों मंन्त्री मण्डन के पुत्र थे । 1. म. • इन मन्दिरों के सिवाय वहाँ पर श्वेताम्बर जैनों के दो. मन्दिर और भी हैं। एक शान्तिनाथ का और दूसरा चौमुखजी का | : यहाँ पर एक दिगम्बर जैन मन्दिर भी है । । : :::

Loading...

Page Navigation
1 ... 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377