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राजपूताने के जैन वीर
दलक्ष प्रदेश पर कब्जा कर लिया हो, और बीका ने उससे इस प्रदेश का पीछा छुड़ाया हो ।
बीका ने दुर्भिक्ष के समय चित्रकूट ( चित्तौड़ ) के अकालपीड़ित लोगों को कई वार, जीवदया को अपने कुल का परम कर्तव्य समझकर अन्न वाँटा था ।
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८. फंड:--
बीका का पुत्र कम हुआ । यहु नांद्रीय देश : ( नांदोल; जो गुजरात में है ) के राजा गोपीनाथ का मंत्री था । यह देवता और गुरुओं (जैनसाधुओं) का परम भक्त था। इसने प्रह्लादन नामक नगर (प्रह्लादनपुर = पालनपुर) में शांतिनाथ का विंवं (मूर्ति) स्थापित किया, संघपति बनकर यात्राएँ कीं और संघ के सब मनुष्यों' को पहिनने को वस्त्र, चढ़ने को घोड़े और मार्गत्र्यय के लिये द्रव्य अपनी ओर से दिया। कीर्ति प्राप्त करने के लिये इसने कई उद्यापन किये; जैनसाधुओं के रहने के लिये कई पुण्यशालाएँ बनवाई। और बहुत से देवमंदिर बनवाए।
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नांद्रीय (नांदोड) से यह मालवे की राजधानी मंडपदुर्ग: (मांडू) को चला आया था | मांडूः उस समय भालवे की राजधानी : होने से, बड़ा ही संपत्तिशाली नगर था. अनेक कोटिपति और लक्षाधीश इस नगर को अलंकृत करते थे । कहते हैं कि इस शहर में कोई भी ग़रीब जैन श्रावक नहीं था, कोई जैन गरीबी की दशा में बाहर से आता, तो वहाँ के धनी जैन उसे एक एक रुपया देते थे। इन घनियों की संख्या इतनी अधिक थी कि वह दरिद्ध-उस
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