Book Title: Rajputane ke Jain Veer
Author(s): Ayodhyaprasad Goyaliya
Publisher: Hindi Vidyamandir Dehli

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Page 343
________________ आबू पर्वत पर के प्रसिद्ध जैनमन्दिर ३२३ रविवार का एक लेख मिला है। उसमें लिखा है:-. ___ वस्तुपाल और उसका छोटा भाई तेजपाल ये दोनों पोरवाड़ महाराज अश्वराज के पुत्र थे। यह अश्वराज अनहिलवाड़े का रहने वाला था। वस्तुपाल और तेजपाल ये दोनों भाई गुजरात के सोलंकी राजा वीरधवल के मन्त्री थे। तेजपालने कृष्णराज के पिता सोमसिंहदेव के राज्य समय अपने पुत्र और स्त्री के कल्यापार्थ आबू पर यह नेमिनाथ का मन्दिर बनवाया। आगे चलकर इस लेख में मन्दिर का वर्णन किया गया है । इस शिला-लेख के रचयिता का नाम सोमेश्वरदेव लिखा है । यह सोमेश्वर सोलकी वीरधवल का परोहित और कीर्तिकौमुदी तथा सुरथोत्सवका कर्ता या। इसी लेखसे यह भी प्रगट होता है कि इस मन्दिर की प्रतिष्ठा . नागेन्द्र गच्छ के विजयसेनसूरि ने की थी। __इस मन्दिर की बनावट भी विमलशाह के मन्दिर की सी है। इसमें मुख्य मन्दिर (गंभारा) के सामने गुंबजदार सभा मण्डप है। और उसके इर्दगिर्द छोटे छोटे जिनालय बने हैं। तथा इसके पीछे हस्तिशाला है। इसके मुख्य मन्दिर में नेमिनाथ की मूर्ति है । तथा पास के जिनालयों में भी अनेक मूर्तियाँ हैं । इनके द्वारों पर भी अलगर लेख खदे हैं। इनमें तेजपाल के ५२ सम्बंधियोंके नाम हैं। इससे प्रगट होता है कि प्रत्येक जिनालय किसी न किसी सम्बन्धि के नाम पर बनवाया गया था। मुख्य मन्दिर के दरवाजे के दोनों पायों में बड़े ही सुन्दर दो ताक हैं। इनको लोग 'देराणी जेठाणी के आले' कहते हैं। कहा जाता है कि इसमें का एक ताक तेजपाल

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