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२३० राजपूताने के जैनचौर के लिये अनेक प्रकार के षड्यन्त्र रचने लगे। भाग्य से उन्हें इस दुरेच्छा को कार्यरूप में परणित करने का अनायास अवसर भी हाथ आगया। ___ उदयपुर के राणा भीमसिंह की अत्यन्त रूपवती कन्या कृष्णकुमारी का विवाह जोधपुर के महारजा भीमसिंह से होना निश्चित हुआ था, परन्तु उनके स्वर्गासीन हो जाने के कारण, जोधपुर के एक षड्यन्त्रकारी ने इस कन्या से विवाह करने का प्रस्ताव, जयपुर के महाराज जगतसिंह द्वारा कराया, जिसे उदयपुर के राणा ने सहर्ष स्वीकार कर किया। इधर जोधपुर-नरेश मानसिंह को यह कहकर भड़काया गया कि "उदयपुर-राजकुमारी का विवाह सम्वन्ध पहले जोधपुर के महाराज से निश्चित हुआ था, यदि जयपुर-नरेश के साथ यह सम्बन्ध होगया तो, सदैवं को जोधपुरराज्य को कलंक लग जायगा; क्या सिंह के होते हुये उसके शिकार को लोमड़ी छीन सकेगी? यह सम्बन्ध वो जोधपुर के राज्यसिंहासन के साथ हुआ था, अतः नव आप उस पर आसीन हैं तो उस कुमारी को वरण करने का आपको ही अधिकार है। . बुद्ध महाराज उक्त बातों में आगये और यह सम्बन्ध न लेने के लिये जोधपर के महाराज को एक पत्र लिखा। जयपुर नरेश तो पहिले से ही. भर दिये गये थे, फिर भला उन्हें इस पत्र को मानने की क्या आवश्यकता थी ? परिणाम इसका यह हुआ कि महाराज भानसिंह ने जयपुर पर आक्रमण कर दिया। किन्तु समर-भूमि में जाते ही मानसिंह के आश्चर्य और दुःख की