________________
२८६ राजपताने के जैनचीर में इस झील का घेरा करीव ६ मील के हो जाता है । झील के निकट जहाँगीर वादशाह का बनवाया हुआ "दौलत वारा" है और किनारे पर मार्वल के मकानों का सिलसिला है। अजमेर से करीब ७ मील की दूरी पर एक "पुष्कर" नामक कस्वा है। जो कि हिन्दुओं का तीर्थस्थान है। इस की सीमा के भीतर कोई मनुष्य जीव हिंसा नहीं कर सकता । अजमेर में रेलवे आफिस, मेयो । कालिज, दाई दिन का झोंपड़ा (जो मुसलमानों ने जैन मन्दिर को तुड़वा कर बनवाया था) रेल्वे ढलने का कारखाना, ख्वाजा साहब.. की दरगाह और सेठ साहूकारों की बहुत सी कोठियाँ देखने योग्य.
(दि.जैन डिरेक्टरी पृ० ४६१) मुहल्ला लाखनकोठरी में जैन श्वेताम्बर श्रावकों की आबादी और जैन श्वेताम्बर मन्दिर बहुत लागत के हैं।
अजमेर का विवरण लिखते हुये टॉड साहब ने लिखा है:
"अजमेर दुर्ग के पश्चिम प्रान्त में एक बहुत ही पुराना जैन. मन्दिर है। किसी कारण से यवनों ने इसको नहीं गिराया है। इसका नाम "ढाई दिन का झोंपड़ा" अर्थात् जैनी शिल्पियों में, इन्द्रजाल मंत्र की शक्ति से इसको बाई दिन के अन्दर बना दिया, था। इस कारण इसका नाम ढाई दिनका झोंपड़ा रक्खागया ऐसी जन-श्रुति है । भारत के तीन प्रधान पवित्र स्थानों में जैनियों ने, जैसे चित्ताकर्षक मन्दिर बनवाये हैं, उनके द्वारा जैन शिल्पियोंकी योग्यता भली भांति प्रगट हो रही है। ज्ञात होता है कि यथेच्छ सामग्री मिल जाने के कारण यह मन्दिर बहुत ही शीम तैयार