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वीर-नारी
२६९ था, लोग उसके भाग्य की सराहना करते थे। चित्तौड़-राजकुमारी पटरानी रहेगी, उसी की सन्तान राज्य की उत्तराधिकारिणी होगी, इन शतों पर वे च्याही जाती थीं। इसी वीरबाला किरन नेमहाराणा प्रताप का सन्धिपत्र जो अकबर के पास आया था, उसके उत्तर में अपने पति पृथ्वीराज से एक वीरोचित शब्दों में पत्र लिखवाया था, जिसे पढ़कर महाराणा प्रताप फिर अपने खोए हुये धैर्य को प्राप्त कर सके।हे भगवान!क्या अब भी हिन्दूललनायें उक्त वीर वाला के समान अपनी शील-रक्षा करने को उद्यत रहेंगी।
(मई सन् २०)
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+ अकबर के पास राणा प्रताप के सन्धि-पत्र भेजने की घटना को मान्य ओझानी ने कल्पित लिखा है।
जिस समय पृथ्वीराज की रानी ने अकबर को ऐसी शिक्षा दी, उन्हीं के भाई उक बीकानेर के राजा रायसिंह की स्त्री अकबरके दिये हुये लालच में फंस गई और उसने अपना अमूल्य सतीत्व अकबर के हाथ बेच डाला । पृथ्वीराज ने अपने भाई से इस घटना का वृत्तान्त बड़े मर्मभेदी शब्दों में कहा था।