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जैसलमेर के जैन-चीर
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जैसलमेर के वीर
मेहता स्वरूपसिंह स्वरूपसिंह जयसलमेर राज्य का एक शक्तिशाली मंत्री
' था। यह जाति का वैश्य जैनधर्म को मानने वाला और मेहतावंश में उत्पन्न हुआ था।
संवत् १८१८(सन् १७६२ ई०)में जयसलमेर के राज्यसिंहासन पर अभिषिक्त होनेवाले राजा मूलराज का यह मंत्री था। राजा मुलराज इस पर अत्यन्त प्रसन्न थे और यह स्वयं भी एक नीतिनिपुण पराक्रमकारी मंत्री था । यही कारण था कि जि और स्वार्थी इस से जलने लगे और इसे अनेक प्रकार से वदनाम करने लगे। किन्तु स्वरूपसिंह इन बातों से घबड़ानेवाला नहीं था, उसने अपने गौरव और रुत्वे से जलने वालों की तनिक भी परवाह नहीं की। किन्तु अन्त में कुचकियों का चक्र चल ही गया।
मेहता स्वरूपसिंह ने युवराज रायसिंह को राज्य की ओर से मिलने वाले जेब खर्च को नियमित कर दिया था, वह नहीं चाहता था, कि प्रजा को गाढ़ कमाई से संचित किया हुआ कोष अपव्यय किया जाय । इसलिये युवराज रायसिंह भी मेहता वरूपसिंह । पर खार खाये रहते थे। मेहता स्वरूपसिंह के ईर्ष्यालुओं ने उन्हें