________________
२८० राजपूताने के जैन-बीर
और भी मड़का दिया। मेहता स्वरूपसिंह को अपने पथ से हटाने का युवराज को यह अवसर अनायास ही मिल गया । और सरे परवार मेहता स्वरूपसिंह को बैठे हुये अचानक शहीद कर दिया। राजा मूलराज ने अपने पुत्र की यह धृष्टता देखी तो वह क्रोध से अधीर हो उठे किन्तु अपने पुत्र की संहारमूर्ति और सामन्तों की हिंसक अभिलाषा देखकर मूलराज मारे जाने के भय से अन्तःपुर में चले गये । अन्त में युवराज रायसिंह ने सामन्तों के परामर्श से अपने पिता को भी काराग्रह में डाल दिया और आप जैसलमेर के राज्यसन पर आरुढ़ हुये।
[३० जनवरी ३]