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राजपूतानेके जैन-चीर
में दीवान पद पर आसीन रहा। इसको अनुमान २००० रुपये.
आय का जागीर में एक गाँव, मिला था,। ११. पृथ्वीराज भण्डारी:
यह महाराजा मानसिंह के राज्य-समयः जालौर का हाकिम था.। जिसको, पं० गौरीशंकर हीराचन्द ओझा.ने.शिरोही. के. इतिहास में लिखा है । १२. बहादुरमल भण्डारी:
यह महाराजा तख्तसिंह के समयः (सन् १८४३:७३) में हुआ। सम्भवतया मुत्सद्दी वंश में यह सबसे अन्तिमाथा। इसका महाराजा के ऊपर ऐसा प्रभाव पड़ा हुआ था कि यथार्थ में लोग इसी को.मारवाड़काः राजा मानते थे। यह वाताइसकी और भी कीर्तिः बढ़ाती है कि राजा और प्रजा दोनों की भलाई करने में जिनका प्रेम इसकी नस नस में भरा हुआ था. इसने कोई भी बातः उठा नहीं रक्खी। इसी कारण से.वहाँ की प्रजा इससे बहुत ही प्रसन्न श्राहादित रहती थी। नमक के ठेके के काम में इसने जो कुछ सेवा,की थी। उसके लिये मारवाड़ी प्रजा चिरकाल तक इसका आभार मानती रहेगी। सन १८८५ में सत्तर वर्षको अवस्था में इसका स्वर्गवास हो गया। १३. किशनमल भन्डारी:
यह महाराजा सरदारसिंह के पूर्व तथा उनके शासन काल में राज्य का कोषाध्यक्ष रहा. यह,आर्थिक विषयों में बड़ा निपुणथा।