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राजपूताने के जैन-वीर
होता था । यह निपुण राजनीतज्ञ, अपने समय का एक वीर योद्धा और सिपहसालार था । संवत् १७७२ में जब महाराजा कुमार अभयसिंह को देहली से नागौर का मंसव अता हुआ, तब महाराज ने इसे और मेड़ता के हाकिम पोमसिंह भण्डारी को इन्द्रसिंह राठौड़ से नागौर छीन लेने के लिये नियुक्त किया । वीर इन्द्रसिंह राठौड़ भी लड़ने के लिये सजधज कर तैयार हो गये, तव ज्येष्ठ सुदी १३ को गाँव नागौर व अषाढ़ सुदी पूर्णिमा को नागौर में दोनों पक्षों में घमासान युद्ध हुआ। दोनों बार इन्द्रसिंह की सेना भागी और अन्त में नागौर का अधिकार महाराज को मिला ।, ६. पोमसिंह भण्डारी :--
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यह संवत् १७६७में जालौर, सांचौर का हाकिम नियुक्त हुआ । संवत् १७७६ में जब बादशाह फर्रुखसियर मारा गया, तब महाराजा अजीतसिंह ने इसे फौज देकर अहमदाबाद भेजा था । ७. सूरतराम भण्डारी:
ई०स०१७४३ अक्टूबर को जयसिंह की मृत्यु के बाद महाराजा श्रभयसिंह ने मेड़ता से भण्डारी सूरत राम को, अलीनिवास के ठाकुर सूरजमल और रूपनगर के शिवसिंह को अजमेर पर अधिकार करने के लिये भेजा और इन्होंने युद्ध करके अजमेर पर कब्जा जमा लिया |
८. गंगाराम भण्डारी:
यहू विजयसिंह के समय (ई० स० १७५२-९२) में हुआ । यह