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चौहान वंशीय जैन-वीर २२५ केवल राजनीतज्ञ ही नहीं था, वरन् वहादुर सिपाही भी था। यह मेड़ता के युद्ध में भी गया था। जो सत् १७९० ईस्वी में मरइटों
और राठ.ड़ों के बीच में हुआ था। ६. रतनसिंह भण्डा :
ओसवाल वंश के एक प्रतिष्ठित घराने में उत्पन्न हुआ था! यह तलवार का धनी, व्यवहारकुशल, राजनीतज्ञ, स्वाभिमानी और कर्तव्य-परायण सेनापति था।
मुग़ल बादशाह की ओर से सन् १७३० में मारवाड़ का राजा अभयसिंह अजमेर और गुजरात का गवर्नर नियुक्त हुवा। तीन वर्षे पश्चात् अभयसिंह, रतनसिंह भण्डारी को यह कार्यभार संपकर देहली चला आया। तब रतनसिंह भण्डारी ने सन् १७३३ से १७३७ तक अजमेर और गुजरातकी गवर्नरी का संचालन किया! गवर्नर का कार्य करते हुये इन चार वर्षों में रतनसिंह को अनेक युद्ध करने पड़े ! मुगल साम्राज्य का पतन हो रहा था, घरेन झगड़ों ने उसे डावाँ डोल कर दिया था। इसलिये कितने ही विद्रोही खड़े हो गये थे, मरहठों का जोर दिन पर दिन बढ़ता जा रहा था, तब ऐसी विकट परिस्थिति में गजरांत का गवर्नर बने रहना रतनसिंह जैसे वीर योद्धा का ही काम था । अंत में एक युद्ध में यह वीरगति को प्राप्त हुआ।
१०. लसीचन्द्र भण्डारीः । · यह महाराजा मानसिंह के राज्य काल में (सर १८०३-४३)