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मारवाड़-परिचय तीन लेख १६०९ ई० के हैं व ८ बड़े पाषाण स्तम्भ है । जिन को . खेतला का स्थान कहते हैं। १. मांगलोदा___ नागौर से पूर्व २० मील यहाँ प्राचीन मन्दिर है, जिस में संस्कृत लेख सन् ६०४ का है। इस में लिखा है कि इस मन्दिर का जीर्णोद्धार धुहलाना महाराज के राज्य में हुआ था । यह लेख जोधपुर में सब से प्राचीन है। ५. पोकरन नगरः
जिला सांकरा-जोधपुर नगर से उत्तर-पश्चिम ८५ मील । सातलमेर प्राम के बाहर दो मील तक ध्वंश स्थान है। यहाँ एक बड़ा जैन मन्दिर है। ६. राणपुर (रैनपुर):
जि० देसूरी-फालना स्टेशन से पूर्व १४ मील व जोधपुर से दक्षिण-पूर्व ८८ मील । यहाँ प्रसिद्ध जैन-मन्दिर है । जो मेवाड़ के राणा कुम्भा के समय में १५ वीं शताब्दी में बना था 1. यह बहुत पूर्ण है । मन्दिर का चबूतरा २००४२२५ फुट हैं । मध्य में बड़ा मन्दिर है, जिस में चार वेदी हैं। प्रत्येक में श्री आदिनाथ विराजमान हैं। दूसरे खनपर चार वेदी हैं। आंगन के चार कोने पर ४ छोटे मन्दिर हैं । सब तरफ २० शिखिर हैं जिसकों ४२०
स्तम्भ आश्रय दिये हुये हैं। संगमर्मर का खुदा हुओं मानस्तम्भ : द्वार पर है, उस में लेख है । जिन में मेवाड़ के राजाओं के नाम