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१५६ राजपूताने ले जैन धीर बापा रावल से राणा कुम्मा तक है। इस. मन्दिर के हर एकर शिखर के समुदाय जो जो मध्य शिखर है, वह तीनः खन का ऊँचा है। जो खास द्वार के सामनेहै, वह ३६ फुट व्यासका है, उसे १६ खम्भे थामे हुये हैं। १९०८ की पश्चिम भारत की रिपोर्ट में है कि इस बड़े मन्दिर को-जो चौमुखा मन्दिर श्री आदिनाथजी का है-पोड़वाड़ महाजन धरणक ने सन् १४४० में बनवाया था। दो और जैन-मन्दिर हैं, उन में एक श्रीपार्श्वनाथजी का १४ वीं शताब्दी का है। ७. सादड़ी नगर:
जि० देसूरी। प्राचीन नगर जोधपुर से दक्षिण पूर्व ८० मील, यहाँ बहुत से जैन-मन्दिर हैं। ८. कापरदाः
जिला हुकूमत, यहाँ एक जैन-मन्दिर है जो इतना ऊँचा है कि ५ मील से दिखता है । यह १६वीं शताब्दी के अनुमान का है। यह जोधपुर से दक्षिण-पूर्व २२ मील है। विशालपुर से ८ मील है ६. परलई
देसूरी से उत्तर-पश्चिम चार मील । यहाँ सुन्दर दो जैनमन्दिर हैं-एक श्रीनेमीनाथजी का सन् १३८६ का व दुसरा श्रीआदिनाथजी का सन् १५४१ का। . .
१०. जसवन्तपुरा .. . . ..आबूरोड स्टेशन से उत्तर-पश्चिम ३० मील, पर्वत के नीचे