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जोधपुर राजवंश के जैनवीर
२०९.
किया, तो दोनों पुस्तकें ठीक मिल गई। फिर मैंने उसका सूचीपत्र बनाकर उसकी जिल्द बँधवाली । दूसरे वर्ष जब कविराज जी, का उदयपुर आना हुआ, तब मैंने वह पुस्तक उनको दिखलाकर उन की इस बड़ी कृपा के लिये उन्हें धन्यवाद दिया ।"
( मेहता मोहणोत नेणसी की ख्यात से)
११. मेहता सुन्दरदासजी :
(जयमलजी के पुत्र ) यह महाराज जसवन्तसिंह के तन दीवान (प्राईवेट सेक्रेटरी) सं० १७११ से १७२३ तक रहे । १२. मेहना कामसीजी:
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(नैसीजी के पुत्र) महाराज जसवन्तसिंह और औरंगजेब का जो उज्जैन के पास मौजै चोरनारायण में इतिहास प्रसिद्ध युद्ध हुआ था, उस में इन्होंने अत्यन्त वीरता से युद्ध किया और वहाँ यह घायल हुये ।
+ इस इतिहास प्रसिद्ध युद्ध की एक घटना को लेकर जून सन् २८ में एंक छोटीसी कहानी लिखी थी जो "क्षत्राणी का आदर्श" शीर्षक से आगरे के "वीरसन्देश" भाग २ अंक ११ में प्रकाशित हुई थी । यद्यपि उक्त कहानी का इस पुस्तक के विषय से कोई सम्बन्ध नहीं है उस में वार्णित पात्र जैन नहीं है, फिर भी यहाँ प्रसंगवश और शिक्षाप्रद समझ कर दी जा रही है
शाहजहाँ के द्वारा, शुजा, औरंगजेब और मुराद ये चार लड़के और जहाँनारा तथा रोशनारा यह दो लड़कियाँ थीं। शाहजहाँ के बीमार पड़ते ही श्रोणित-लोलुप क्षुभित व्याघ्र की तरह चारों भाई 'आपस में कट मरे । वह शाहजहाँ के अन्तिम काल तक मयूर -