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चौहान वंशीय जैन वीर
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चौहान वंशीय जैन-वीर
जोधपुर के भण्डारी . जोधपुर के भण्डारी श्रोसवाल जैन हैं । इनका मारवाड़ी
समाज में एक विशेष स्थान है। जोधपर में इनके लगभग ३०० घर हैं। ये लोग अपनी उत्पत्ति अजमेर के चौहान राजवंश से घताते हैं । इनके पूर्वज राव लक्ष्मण (लखमसी) ने अजमेर के राज्यवंश से पृथक होकर नाडौल में एक स्वतंत्र राज्य स्थापित कियाथा । इस कुल में कितने ही राजा हुये। सबसे अन्तिम राजा अल्हणदेव था। जिसने सन् १९६२ ईस्वी में नाडौल के जैनमन्दिर की सहायतार्थ बहुतसी सम्पत्ति अर्पण की और महिने के कुछ __ + क साहब ने अल्हणदेव द्वारा मन्दिर के लिये सहायता देने का जो
लेख किया है, उसके सम्बन्ध में महात्मा टाड साहब को एक तानपत्र मिला था, जिसका कुछ अंश निम्न प्रकार है:
"सर्व शकिमान् जैन के शानकोष नै मनुष्य जाति की विषय-वासना और ग्रन्थि मोचन करदी। अहंकार आमश्लाघा, भोगेष्ठा, क्रोष और लोम स्वर्ग, मयं और पाताल को विभिन्न करदेते हैं। महावीर (जैनधर्म के चौवीसवें तीर्थकर) आपको सुखसे खो"। अति प्राचीन काल में महान चौहान जाति समुद्र के तट तक राज्य करती और नादौल लक्ष द्वारा शासित होती थी । उन्हीं की
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