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मारवाड-परिचय . . . १८१ २५, उनोतरा:___ वाड़लू से पश्चिम ४ मील, यहाँ भी १३ वीं शताब्दी का एक जैन-मन्दिर है। २६. सुरपुरा:
वाडलू से उत्तर-पूर्व ३ मील । यहाँ श्री नेमिनाथ का जैनमन्दिर है । लेख १२३९ का है। २७. नदसर:
सुरपुरा से उत्तर-पूर्व ६ मील । यहाँ एक प्राचीन जैन-मन्दिर है। १० वीं शताब्दी के आश्चर्यजनक स्तम्भ हैं। .. २८. जसोलः__ जि०मल्लानी जोधपुर से दक्षिण-पूर्व ६० मील । यह लूणी नदी पर है । एक जैनमन्दिरहै और एक हिन्दु मन्दिरहै, जोजैनमन्दिर के पुराने सामान से बनाया गया है । एक पाषाण जो समा-मंडप की भींत पर लगा हुआ है, वह खेड़ के जैन मन्दिर से लाया गया है। उस पर लेख सं०१२४६ हैं। इस जैन मन्दिर में दो मूर्तियें श्री सम्भवनाथ की हैं, जिनकी प्रतिष्ठा सहदेव के पुत्र सोनीगर ने.कराई थी। यह भानु देवाचार्य गच्छ के श्री महावीर स्वामी के मन्दिर की हैं, जो खेतला पर है। इस जैन-मन्दिर को देवी देहरा कहते हैं। इसमें एक लेख सं० १६५९ रौला विक्रमदेव के राज्य का है ! २६. नगर:
जासौल से दक्षिण ३ मील । यहाँ तीन जैन-मन्दिर हैं१ नाकोड़ा पार्श्वनाथ का, २ लासीबाई ओसवाल कृत श्री ऋषभ