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मारवाड़ के जैन राजा
४. नागभट
(सं. ३ का पत्र) इसको नाहड़ भी कहते थे। इसने मेडंतकपुर (मेड़ता, जोधपुर राज्य में ) में अपनी राजधानी स्थिर की। उसकी राणी जजिकादेवी के दो पत्र तात और भोन
५. तात de
(सं०४ का पत्र ) इसने जीवन को बिजली के समान चंचल जान कर अपना राज्य अपने छोटे भाई को दे दिया और आप मॉडन्य के पवित्र आश्रम में जाकर धर्माचरण में प्रवृत्त हुआ। ६. भोजन
(सं० ५ का छोटा भाई) ७. यशोवर्द्धन 9
(सं० ६ का पुत्र) #. चंद्रुक
(सं० ७ का पुत्र) ६. शीलुकं...
(सं. ८ का पुत्र ) इसनें त्रवणी और वल्ल देशों में अपनी सीमा स्थिर की, अर्थात् उनको अपने राज्य में मिलाया और वल्लं मंडल (वल्लदेश) के स्वामी भट्टिक (भाट) देवराज को पृथ्वी पर पछाड़ कर उसका छत्र छीन लिया।