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राजपूतों के जैन वीर
सिहदेव राज्यं करते थे। एक दूसरा लेख संवत् १३५६ का है, श्री आदिनाथ भगवान् का नाम हैं । यह जूना बारमेर हतमा से दक्षिण पूर्व १२ मील है । १३. पालीनगरः
(माड़वाड़ पाली) जोधपुर रेलवे पर वान्दी नदी के तट पर जोधपुर नगर से दक्षिण ४५ मील । यहाँ एक विशाल जैन मन्दिर है, जिसको नौलखा कहते हैं । यह अपने बड़े आकार, सुन्दर खुदाई व किले के समान दृढ़ता के लिये प्रसिद्ध है । इसमें बहुतसा काम चारों तरफ वना है। जिस में भीतर से ही जाया जा सकता है । केवल बाहर एक ही द्वार है, जो ३ फुट चौड़ा भी नहीं है । भीतर चांगन में एक मसजिद भी है जो शायद इसी लिये बनाई गई है, कि इस मन्दिर को मुसलमान ध्वंश न कर सकें । इस नौलखा जैन - मन्दिर में प्राचीन मूर्तियें वि० सं० १९४४ से १२०१ तक की हैं ।
१४. सांचारे:--
नगर, जोधपुर से दक्षिण-पश्चिम १५० मील । यहाँ एक पुरानी मसजिद है, जो पुराने जैन-मन्दिर को तोड़ फोड़कर बनाई गई है। यहाँ तीन पाषाण के खम्भों पर ४ लेख हैं उनमें से दो संस्कृत में हैं। जिनका भाव यह है कि (१) संवत् १२९७ मंडप बनाया, संघ पति हरिश्चन्द्र ने; (२) संवत् १३२२ वैशाख वदी १३ सत्यपुर महास्थान के भीमदेव के राज्य में श्रीमहावीर स्वामी के जैन मंदिर में जीर्णोद्धार किया, सवाल भंडारी छाबा द्वारा ।