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मेवाड़ के वीर
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६ महाराणा विक्रमादित्य के समय में कुम्भलगढ़ का किलेदार : आशाशाह था, जिसने महाराणा उदयसिंह के शरणागत होने पर प्रभयदान दिया था । परिचय पृ० ७४ ।
७ महाराणा उदयसिंह के मंत्री भारमल कावड़िया थे ।
परिचय पृ० ८० ।
८ महाराणा प्रताप सिंहके मंत्री भामाशाह थे। परिचय पृ०८३ । इसके सिवाय उक्त राया की घोर से हल्दीघाटी के युद्ध में ताराचन्द मेहता जयमल बच्छावत, मेहता रत्नचन्द खेतावत आदि के लड़ने का उल्लेख मिलता है ।
९. महाराणा अमरसिंह का मंत्री भामाशाह और भामाशाह की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जीवाशाह रहा। परिचय पृ० १०० । १० महाराणा कर्णसिंह का मंत्री अक्षयराज था । पृ० १०१ । ११ महाराणा राजसिंह का मंत्री दयालशाह था । परिचय पृ० १०२ १२ महाराणा संग्रामसिंह (द्वितीय) वीर प्रकृति के पुरुष थे। इन्हों ने ऋषभदेवजी के मन्दिर को एक गाँव भेट किया । १३ महाराणा भीमसिंह के मंत्री सोमदास गाँधी मेहता मालदास और मेहता देवीचन्द रहे ।
महाराणा भीमसिंहजी से लगाकर महाराणा फतहसिंहजी तक (जिनका कि सन् ३१ में स्वर्गवास हो गया) उदयपुर राज्य के
1 सैनिक सेवा की दृष्टि से विवेदारी पद राजपूताने में आयन्त महत्व का नमना आता है। किले आदे पर हमला होने पर सिदार बुद्ध करने में स्वतन्त्र होता है। यह भी एक निम्मेदारी का पद है।