________________
\
१४४
राजपूतानेके जैन-चीर
•
वारिया गाँव लाँवा वालों को दिलाना निश्चय हुआ; परन्तु रूंपाहेली वालों ने महाराणा शम्भुसिंह की आज्ञा न मानी, जिस पर गोकुलचन्द्र की अध्यक्षता में तसवारिये पर सेना भेजी गई । वि० सं० १९३१ ( ई० स० १८७४ ) महाराणा शम्भुसिंह ने मेहता पन्नालाल को कैद किया, तब उसके स्थान पर नोकुलचन्द मेहता और सहीवाला अर्जुनसिंह महकमा खास के कार्य पर नियुक्त हुये । उसमें अर्जुनसिंह ने तो शीघ्र ही इस्तीफा दे दिया और गोकुलचन्द मेहता कुछ समय तक इस कार्यको करता रहा. फिर वह माँडलगढ़ चला गया और वहीं उसकी मृत्यु हुई है। मेहता पन्नालाल -
- वि० सं० १९२६ ( ई० स० १८६९) में महाराणा शम्भुसिंह ने खास कचहरी के स्थान में 'महकमा खास ' स्थापित किया, तो पण्डित लक्ष्मणराव ने अपने दामाद मार्तण्डराव को उसका सेक्रेदरी बनाने का उद्योग किया, परन्तु उससे काम न चलता देखकर महाराणा ने मेहता पन्नालाल ं को, जो पहिले खास कचहरी में
+ रा. पू. का. इ. चौ. भा. पृ० १३२० ॥
+ मेहता पन्नालाल मेहता अगरचन्द के छोटे भाई हँसराज के ज्येष्ठ पुत्र दीपचन्द के द्वितीय पुत्र प्रतापसिंह का पौत्र ( मुरलीधर का बेटा ) था । जब हड़च्या खाल की लड़ाई में होल्कर की राजमाता अहिल्याबाई के भने हुये तुलाजी सिंघया और श्री माई के साथ की मरहटी सेना से मेवाड़ी सेना की हार हुई और मरहटों से छीने हुये न्धान सब छूट गये, उस समय दीपचन्द ने जावद पर एक महिने तक उनका अधिकार न होने दिया । अन्त में तोप आदि लड़ाई के सारे सामान तथा अपने लैंनिकों को साथ लेकर वह नरहटी सेना को चीरता
हुआ मान्डलगढ़ चला आया ।