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मेवाड़ के वीर
असिस्टैंट सेक्रेटरी है ।। " मेहता गोकुलचन्द
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"महाराणा सरूपसिंह ने मेहता शेरसिंह की जगह मेहता गोकुलचन्द को, जो मेहता अगरचन्द के ज्येष्ठ पुत्र देवीचन्द का पौत्र और सरूपचन्द का पत्र था, प्रधान बनाया । फिर वि० सं० १९१६ ( ई० स० १८५९) में महाराणा ने उसके स्थान पर कोठारी केशरीसिंहजी को प्रधान नियत किया। महाराणा शम्भुसिंह के समय वि० सं० १९२० ( ई० स० १८६३) में मेवाड़ के पोलिटि - किल एजेण्ट ने सरकारी श्राज्ञा के अनुसार रीजेन्सी कौन्सिल को तोड़ कर उसके स्थान में "अहलियान श्री दरवार राज्य मेवाड़ " नाम की कचहरी स्थापित की और उसमें मेहता गोकुलचन्द तथा पण्डित लक्ष्मणराव को नियत किया । वि० सं० १९२२ ( ई० स० १८६५ ) में महाराणा शम्भुसिंह को राज्य का पूरा अधिकार मिला । वि० सं० १९२३ ( ई० स० १८६६ ) में अहलियान राज्य की कचहरी टूट गई और उसके स्थान में "खास कचहरी" कायम
। उस समय गोकुलचन्द माण्डलगढ़ चला गया । वि० सं० १९२६ ( ई० स० १८६९) में कोठारी केसरीसिंह ने प्रधान पद से स्तीफा देदिया, तो महाराणा ने वह काम मेहता गोकुलचन्द और पं० लक्ष्मणराव को सौंपा। बड़ी रूपाली और लांवा वालों के बीच कुछ जमीन के घावत झगड़ा होकर लड़ाई हुई, जिसमें लांबा बालों के भाई आदि मारे गये । उसके बदले में रूपाहेली का तस -
+ राजपूताने का ६० चौथा खं० पृ० १३१६ - २० ।